क्या महिला डॉक्टर के हिजाब को खींचने पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने नीतीश कुमार से माफी मांगी?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं की गरिमा का सम्मान होना चाहिए।
- राजनीतिक नेताओं की जिम्मेदारियां होती हैं।
- हिजाब को खींचना विभाजनकारी है।
- कानून के शासन का सम्मान होना चाहिए।
- समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और कार्यकारी समिति ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक महिला डॉक्टर के हिजाब को खींचने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसकी निंदा की है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद की भी निंदा की गई है।
एससीबीए द्वारा जारी एक पत्र में सीएम नीतीश कुमार की हिजाब खींचने की कार्रवाई पर आपत्ति जताई गई है और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तथा उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद द्वारा की गई टिप्पणियों की निंदा की गई है। एससीबीए ने कहा कि ऐसे अपमानजनक बयान महिलाओं की गरिमा को कम करते हैं।
एससीबीए ने इसे एक महिला की व्यक्तिगत गरिमा का गंभीर उल्लंघन मानते हुए कहा कि यह अचंभित करने वाला है कि एक उच्च पदस्थ व्यक्ति महिला की गरिमा और स्वायत्तता को कम करने की कोशिश कर रहा है। यह घटना न केवल युवा डॉक्टर की स्वतंत्रता का उल्लंघन है, बल्कि यह महिलाओं के प्रति एक विकृत दृष्टिकोण का भी प्रतीक है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि यह भारत के संविधान में निहित समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का अपमान है। एससीबीए ने उनसे बिना शर्त माफी की मांग की है। हम व्यक्तिगत अधिकारों और कानून के शासन की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
15 दिसंबर को, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डॉक्टरों को नियुक्त पत्र दे रहे थे, एक महिला डॉक्टर हिजाब पहनकर पत्र लेने उनके पास पहुंची। सीएम ने पहले महिला से हिजाब हटाने को कहा और फिर अचानक अपने हाथों से हिजाब को खींच दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे कुछ लोग नीतीश कुमार के समर्थन में आ गए और कुछ ने आपत्ति जताई। इस पर राजनीति गरमाई हुई है।