क्या स्नोव्हाइट ने 88 साल पहले रुपहले पर्दे पर कदम रखा था?
सारांश
Key Takeaways
- स्नो व्हाइट एंड द सेवन ड्वार्फ्स ने एनिमेशन की धारणा को बदल दिया।
- फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अभूतपूर्व सफलता हासिल की।
- यह फिल्म डिज़्नी स्टूडियो के साम्राज्य की आधारशिला बनी।
- आज के एनिमेशन उद्योग की जड़ें इस फिल्म से जुड़ी हैं।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 21 दिसंबर 1937 को जब वॉल्ट डिज्नी की फिल्म 'स्नो व्हाइट एंड द सेवन ड्वार्फ्स' अमेरिका में प्रदर्शित हुई, तब शायद ही किसी ने यह सोचा था कि एनिमेशन के इतिहास में एक नई क्रांति की शुरुआत हो रही है। उस समय, कार्टून को केवल छोटे, हास्य और बच्चों के मनोरंजन का साधन माना जाता था।
फीचर-लेंथ एनिमेटेड फिल्म का निर्माण करना न केवल एक चुनौती थी, बल्कि हॉलीवुड के कई प्रमुख नाम इसे “डिज्नी की मूर्खता” कहकर खारिज कर चुके थे। लेकिन डिज्नी ने अपनी कल्पना और कहानी कहने की क्षमता पर विश्वास बनाए रखा।
'स्नो व्हाइट एंड द सेवन ड्वार्फ्स' एक जर्मन लोककथा पर आधारित थी, किंतु इसकी प्रस्तुति ने इसे एक साधारण परीकथा से कहीं अधिक बना दिया। भावनाओं से भरे पात्र, संगीत, रंगों का अद्भुत उपयोग और तकनीकी नवाचारों ने दर्शकों को यह एहसास दिलाया कि एनिमेशन भी उतना ही संवेदनशील और प्रभावशाली हो सकता है जितना कि लाइव-एक्शन सिनेमा। फिल्म की नायिका स्नो व्हाइट और सात बौनों के पात्र इतने जीवंत थे कि दर्शक उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ गए।
फिल्म ने रिलीज होते ही अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। इसने न केवल बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि आलोचकों की सोच में भी बदलाव लाया। अब एनिमेशन को बच्चों के लिए नहीं, बल्कि सभी आयु वर्ग के दर्शकों के लिए एक गंभीर कला के रूप में स्वीकार किया जाने लगा। यही फिल्म आगे चलकर डिज़्नी स्टूडियो के साम्राज्य की आधारशिला बनी और विश्वभर में एनिमेटेड फिल्मों के लिए नए मार्ग प्रशस्त किए।
आज जब पिक्सार, ड्रीमवर्क्स और आधुनिक डिजिटल एनिमेशन की बात होती है, तो उसकी जड़ें 21 दिसंबर 1937 की उस ऐतिहासिक शाम में मिलती हैं। 'स्नो व्हाइट एंड द सेवन ड्वार्फ्स' केवल एक फिल्म नहीं थी, बल्कि यह वह क्षण था जब एनिमेशन ने वैश्विक सिनेमा में अपनी स्थायी और सम्मानजनक पहचान बनाई।