क्या 'नक्सल मुक्त भारत' अभियान में मिली बड़ी सफलता से नक्सलवाद खत्म होगा?

सारांश
Key Takeaways
- नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की संख्या अब 3 है।
- केंद्र सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- 312 वामपंथी कैडरों को मार गिराया गया है।
- 836 वामपंथी कैडरों को गिरफ्तार किया गया है।
- सरकार की नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन हो रहा है।
नई दिल्ली, १५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार के 'नक्सल मुक्त भारत' बनाने के संकल्प के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या ६ से घटकर केवल ३ रह गई है। अब केवल छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या १८ से घटकर केवल ११ रह गई है। केंद्र सरकार ३१ मार्च २०२६ तक नक्सलवाद की समस्या को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इस वर्ष नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता ने सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इन अभियानों में ३१२ वामपंथी कैडरों को मार गिराया गया, जिनमें सीपीआई (माओवादी) महासचिव और पोलित ब्यूरो के आठ अन्य सदस्य शामिल हैं।
साथ ही, ८३६ वामपंथी कैडरों को गिरफ्तार किया गया और १,६३९ वामपंथी कैडरों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण किया।
यह स्पष्ट है कि सरकार की ओर से राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति को सख्ती से लागू करके नक्सल खतरे से निपटने में यह अभूतपूर्व सफलता मिली है। इन योजनाओं में जन-हितैषी एलडब्ल्यूई अभियानों पर आधारित सटीक आसूचना शामिल है।
इन कदमों में सुरक्षा वैक्यूम वाले क्षेत्रों में त्वरित डॉमिनेशन, शीर्ष नेताओं और ओवर ग्राउंड कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना, कुटिल विचारधारा का मुकाबला करना, बुनियादी ढांचे का तीव्र विकास और कल्याणकारी योजनाओं को पूरी तरह लागू कराना शामिल हैं।
गृह मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "साल २०१० में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा नक्सलवाद को भारत की 'सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती' कहा गया था। अब यह स्पष्ट रूप से पीछे हट रहा है। नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक रेड कॉरिडोर स्थापित करने की योजना बनाई थी। साल २०१३ में विभिन्न राज्यों के १२६ जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा की रिपोर्ट की गई थी, जबकि मार्च २०२५ तक यह संख्या घटकर १८ जिलों तक सीमित रह गई।