क्या बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय ने दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन के साथ समझौता किया?

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क्या बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय ने दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन के साथ समझौता किया?

सारांश

राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय और दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन के बीच हुए इस महत्वपूर्ण समझौते का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपराओं की समृद्ध विरासत को संरक्षित करना और अनुसंधान एवं शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देना है। यह सहयोग भारत की बौद्धिक धरोहर के संरक्षण में एक नई दिशा प्रदान करेगा।

Key Takeaways

  • नालंदा विश्वविद्यालय और दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन के बीच समझौता।
  • भारतीय ज्ञान परंपराओं का संरक्षण।
  • अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा।
  • संयुक्त पहलों और निरंतर संवाद का महत्व।
  • भारत की बौद्धिक धरोहर का संरक्षण।

राजगीर, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के राजगीर में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय ने मंगलवार को दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन (डीटीएफ) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस एमओयू का मुख्य उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपराओं की समृद्ध विरासत को संरक्षित करते हुए अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहित करना है तथा संबंधित विषयों पर साझा कार्य को बढ़ावा देना है।

नई दिल्ली स्थित दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन, लेबर और आर्थिक पॉलिसी सहित विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कई संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करता है। यह समझौता भारतीय ज्ञान परंपराओं के सामाजिक, कानूनी और आर्थिक आयामों की गहन शोधपरक पड़ताल के लिए केंद्रित है, जिससे उन्हें समकालीन भारत की शैक्षिक परिदृश्य में प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।

संयुक्त पहलों, शोध सहयोग और निरंतर संवाद के माध्यम से, दोनों संस्थान आधुनिक संदर्भ में भारत की सभ्यतागत ज्ञान-परंपराओं की समृद्ध और व्यावहारिक समझ विकसित करने का प्रयास करेंगे। यह एमओयू नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी और दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन के महानिदेशक विरजेश उपाध्याय की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपराओं को लगातार सशक्त रूप से बढ़ावा देता रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, यह एमओयू विश्वविद्यालय के उन प्रयासों को और दृढ़ता देगा, जिनका लक्ष्य भारत की सभ्यतागत ज्ञान परंपराओं पर गहन शोध, नवाचार और प्रभावशाली संवाद को प्रोत्साहित करना है। विशेषतः, इस समझौते से अनुसंधान में काफी लाभ मिलने की संभावना है।

नालंदा विश्वविद्यालय इस सहयोग के माध्यम से समृद्ध शैक्षणिक संवाद को मजबूत करने के साथ-साथ भारत की बौद्धिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में अपनी प्रतिबद्धता को और भी सुदृढ़ करने का संकल्पित है। यह एमओयू इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

Point of View

बल्कि समग्र भारतीय शिक्षा व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे सहयोग से भारतीय ज्ञान परंपराओं को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलती है, जो हमारे सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त बनाता है। यह कदम भारत की बौद्धिक धरोहर को सहेजने में मददगार साबित होगा, जो कि सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपराओं की समृद्ध विरासत को संरक्षित करना और शैक्षणिक एवं अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना है।
दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन क्या है?
यह एक नई दिल्ली स्थित फाउंडेशन है जो लेबर और आर्थिक पॉलिसी सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य करता है।
इस समझौते से अनुसंधान में क्या लाभ होगा?
इस समझौते के माध्यम से अनुसंधान में प्रभावी सहयोग और नई संभावनाएं मिलेंगी, जिससे भारतीय ज्ञान परंपराओं पर गहन शोध किया जा सकेगा।
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