क्या नासिक हाउसिंग घोटाले में माणिकराव कोकाटे को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने माणिकराव कोकाटे को राहत दी है।
- दोषी ठहराए जाने पर रोक लगाई गई है।
- कोकाटे को कोई सरकारी पद नहीं संभालने का आदेश दिया गया है।
- यह मामला 1995 का है और सरकारी आवास योजना से संबंधित है।
- जांच में धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी के विधायक माणिकराव कोकाटे को सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत प्राप्त हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को नासिक हाउसिंग घोटाले से जुड़े मामले में कोकाटे को दोषी ठहराए जाने पर रोक लगा दी है। इस निर्णय के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता सुरक्षित रह जाएगी।
हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस राहत की अवधि में माणिकराव कोकाटे कोई सरकारी पद नहीं संभालेंगे। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है और मामले में जवाब माँगा है।
कोकाटे पर आरोप है कि उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्यूएस) के लिए बनाई गई सरकारी आवास योजना का गलत इस्तेमाल किया। आरोपों के अनुसार, उन्होंने अपनी आय को लेकर झूठा हलफनामा पेश किया और इसी आधार पर फ्लैट हासिल किया। निचली अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी।
इससे पहले, 19 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोकाटे को जमानत दी थी, लेकिन दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया था। इसी वजह से उनकी विधानसभा सदस्यता पर संकट था। अब सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले से उन्हें फिलहाल राहत मिली है।
यह मामला वर्ष 1995 का है और तत्कालीन मुख्यमंत्री कोटे के तहत आरक्षित सरकारी फ्लैटों के दुरुपयोग से संबंधित है। इन फ्लैटों का आवंटन कम आय वाले और बेघर व्यक्तियों के लिए होता है। आरोप है कि माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे ने फर्जी शपथपत्र और दस्तावेज़ जमा कर नासिक के कनाडा कॉर्नर स्थित निर्माण व्यू अपार्टमेंट में दो फ्लैट हासिल किए।
जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने उसी इमारत में दो अन्य फ्लैटों का इस्तेमाल किया, जो अन्य व्यक्ति के नाम पर आवंटित थे। जिला प्रशासन की जांच के बाद तत्कालीन यूएलसी अधिकारी विश्वनाथ पाटिल की शिकायत पर पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया।