क्या क्षेत्र नक्सलियों के आतंक से कांपते थे? आज वहां सड़कें, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज हैंः राजनाथ सिंह

सारांश
Key Takeaways
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव आया है।
- बच्चों के सपने अब सच होते नजर आ रहे हैं।
- सरकार ने पुलिस बलों को सशक्त बनाया है।
- सुरक्षा और विश्वास का अहसास बढ़ा है।
- सशक्त पुलिस ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकती है।
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजनाथ सिंह ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर विभिन्न पुलिस बलों के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि देश के जो क्षेत्र पहले नक्सलियों के आतंक से कांपते थे, आज वहां सड़कें, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज स्थापित हो चुके हैं। जो इलाके कभी नक्सलियों का गढ़ माने जाते थे, आज वे शिक्षण केंद्रों में बदल रहे हैं। अब वहां बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर का उपयोग कर रहे हैं और बड़े सपने देख रहे हैं। भारत के जो क्षेत्र रेड कॉरिडोर के नाम से जाने जाते थे, वे अब ग्रोथ कॉरिडोर में तब्दील हो चुके हैं। सरकार ने इतने बड़े परिवर्तन के लिए हमारे पुलिस बलों और सुरक्षाबलों के योगदान को सराहा। यह जानकारी मंगलवार को
रक्षामंत्री ने कहा कि यह दिन, देश की सुरक्षा में अपनी जान लगाने वाले हमारे पुलिस और सभी अर्धसैनिक बलों के जवानों की याद में है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक, नक्सलवाद हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी समस्या बना रहा। एक समय था जब छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कई जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे। गांवों में स्कूल बंद थे, सड़कें नहीं थीं, और लोग भय के साए में जीते थे। लेकिन हमने ठान लिया कि इस समस्या को आगे नहीं बढ़ने देंगे। हमारी पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर जिस तरह से संगठित तरीके से कार्य किया, वह सराहनीय है।
रक्षामंत्री ने कहा कि पिछले कई वर्षों के हमारे सामूहिक प्रयास फलित हो रहे हैं। पूरे देश को अब यह विश्वास हो गया है कि अगले वर्ष तक इस समस्या का नामोनिशान नहीं रहेगा। इस वर्ष भी कई शीर्ष नक्सलियों का खात्मा किया जा चुका है। नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या अब बहुत कम रह गई है, और वह भी अगले वर्ष मार्च तक समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि यदि लोग रात को चैन से सो पाते हैं, तो इसलिए कि उन्हें विश्वास है कि सीमा पर सेना है, और गली-मोहल्ले में पुलिस मुस्तैद है। यह विश्वास ही सुरक्षा की सबसे बड़ी परिभाषा है। यह विश्वास ही देश की स्थिरता की पहली शर्त है। आज देश के नागरिकों को भरोसा है कि यदि मेरे साथ कुछ गलत हुआ, तो पुलिस सहायता के लिए खड़ी होगी।
उन्होंने कहा कि सेना और पुलिस, दोनों ही देश की सुरक्षा के अलग-अलग स्तंभ हैं। इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि दुश्मन कोई भी हो, चाहे सीमा पार से आए, या हमारे बीच छिपा हो, जो भी व्यक्ति भारत की सुरक्षा के लिए खड़ा है, वह एक ही आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है। सेना और पुलिस में मंच अलग है, लेकिन इनका मिशन एक ही है, राष्ट्र की रक्षा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि समाज और पुलिस, ये दोनों एक-दूसरे पर समान रूप से निर्भर हैं। कोई भी समाज तभी शांति और प्रगति की ओर बढ़ सकता है, जब उसके भीतर सुरक्षा, न्याय और विश्वास की भावना सुदृढ़ हो। उन्होंने कहा कि एक सरकार के रूप में, हमने न केवल देश की सुरक्षा पर ध्यान दिया है, बल्कि अपने पुलिस बलों को भी सशक्त किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पुलिस के हमारे साथियों की स्मृति को जीवंत रखने के लिए, उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए, 2018 में नेशनल पुलिस मेमोरियल की स्थापना की। इसके साथ ही, हमने पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों और बेहतर सुविधाओं से भी लैस किया है। पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए, राज्यों को पर्याप्त संसाधन भी प्रदान किए जा रहे हैं। आज हमारे पुलिस बलों के पास सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन, फॉरेंसिक लैब और डिजिटल पुलिसिंग जैसे आधुनिक उपकरण हैं।
रक्षामंत्री ने कहा कि पुलिस को मिल रही इन सभी सुविधाओं के बावजूद, मैं यह कहना चाहूंगा कि एक राष्ट्र के रूप में हमारे सामने चुनौतियाँ बहुत अधिक हैं, लेकिन उन चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे पास संसाधन सीमित हैं। इसलिए हमें इन संसाधनों का अधिकतम सदुपयोग करने पर ध्यान देना चाहिए। और यह तभी संभव है जब हम सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल से कार्य करें। रक्षा मंत्री ने कहा कि सशक्त पुलिस ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकती है, और यही हमारा ध्येय होना चाहिए।