क्या नए लेबर कानून गिग वर्कर्स और महिलाओं को सशक्त बनाएंगे?
सारांश
Key Takeaways
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 का उद्देश्य गिग और महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- महिलाओं को प्रसव के बाद 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलेगी।
- गिग वर्कर्स को पहली बार मान्यता दी जा रही है।
- क्रेच सुविधा का प्रावधान 50+ कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए आवश्यक है।
- महिला कर्मचारियों को दूध पिलाने के लिए नर्सिंग ब्रेक दिए जाएंगे।
नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने शनिवार को बताया कि सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 भारत के श्रमिक कल्याण ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार का परिचय देती है। इसका मुख्य उद्देश्य वर्कफोर्स के सभी वर्गों, विशेषकर गिग और महिला कर्मचारियों के लिए व्यापक और समावेशी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह नौ मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों को एक संगठित एवं सरल ढांचे में लाती है।
नए नियमों के अंतर्गत पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को मान्यता दी जा रही है और उनके कल्याण के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जाएगी। इसके अतिरिक्त, असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म क्षेत्र के विभिन्न श्रमिक वर्गों के लिए योजनाएं बनाने और उनकी निगरानी के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो सरकार को सलाह देगा।
सभी असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को राष्ट्रीय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके बाद उन्हें एक विशिष्ट पहचान संख्या (UID) प्राप्त होगी। यह आधार द्वारा सत्यापित होगी और पूरे देश में मान्य होगी।
नए नियमों में महिला कर्मचारियों के लिए भी सुधार किए गए हैं।
नए नियमों के अनुसार, वह महिला कर्मचारी जो प्रसव से पहले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन काम कर चुकी हैं, वे छुट्टियों के दौरान अपने औसत दैनिक वेतन के बराबर मैटरनिटी बेनेफिट प्राप्त कर सकती हैं। मैटरनिटी लीव की अधिकतम अवधि 26 हफ्ते होगी, जिसमें से प्रसव से पहले अधिकतम 2 महीने का अवकाश लिया जा सकेगा।
इसके अलावा, जो महिला 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है या सरोगेसी का उपयोग करने वाली जैविक माँ है, उसे गोद लेने की तारीख से या बच्चे के मिलने की तारीख से 3 महीने की मैटरनिटी लीव मिलेगी।
नए नियमों के अंतर्गत गर्भावस्था, प्रसव, गर्भपात या इससे संबंधित बीमारियों का प्रमाण संहिता के तहत सरल बना दिया गया है। अब रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा कार्यकर्ता), योग्य सहायक नर्स या दाई मेडिकल प्रमाणपत्र जारी कर सकते हैं।
सेक्शन 64 के अनुसार यदि कंपनी महिला कर्मचारी को प्रसव से पहले और प्रसव के बाद मुफ्त देखभाल प्रदान नहीं करती है, तो कर्मचारी को 3,500 रुपये का मेडिकल बोनस दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, डिलीवरी के बाद काम पर लौटने वाली महिला कर्मचारी को उसके बच्चे के 15 महीने का होने तक उसे दूध पिलाने के लिए प्रतिदिन दो नर्सिंग ब्रेक प्रदान किए जाएंगे।
मैटरनिटी लीव के बाद काम पर लौटने वाली महिला कर्मचारी को यदि काम घर से किया जा सके, तो वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी जाएगी। यह सुविधा नियोक्ता और कर्मचारी की आपसी सहमति पर उपलब्ध होगी।
क्रेच सुविधा के संबंध में नियमों में स्पष्ट किया गया है कि 50 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को निर्धारित दूरी के भीतर क्रेच की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
इसके साथ ही, महिला कर्मचारी को क्रेच में प्रतिदिन चार बार जाने की अनुमति दी जाएगी। यदि महिला कर्मचारी को क्रेच की सुविधा नहीं मिलती है, तो उसे प्रति बच्चे के लिए प्रति माह कम से कम 500 रुपये का क्रेच भत्ता दिया जाएगा, जो अधिकतम दो बच्चों के लिए दिया जाएगा।