क्या नेपाल की मौजूदा स्थिति भारत के लिए चिंता का विषय है?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवा सड़कों पर उतरे।
- भारत सरकार ने स्थिति पर गंभीर नज़र रखने का आश्वासन दिया।
- कई युवा घायल और कुछ ने जान गंवाई।
- मंत्रालय ने संवाद के माध्यम से मतभेदों के समाधान की उम्मीद जताई।
- नेपाल के शहरों में कर्फ्यू लागू किया गया है।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन पर भारत सरकार ने मंगलवार को कहा कि हम पूरी स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में अपना आधिकारिक बयान जारी किया।
विदेश मंत्रालय ने नेपाल में सोशल मीडिया पर लागू प्रतिबंध के खिलाफ जेन-जी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस के व्यवहार पर भी दुख व्यक्त किया। मंत्रालय ने कहा कि हमें अत्यंत दुख है कि इस दौरान कई युवा घायल हुए और कुछ ने अपनी जान भी गंवाई।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करते हैं। साथ ही, हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य प्रदान करें।
बयान में यह भी कहा गया कि नेपाल के पड़ोसी देश होने के नाते हम पूरी स्थिति पर गहन नज़र रख रहे हैं। हम आशा करते हैं कि नेपाल में स्थिति जल्दी से सामान्य हो जाए और यदि किसी मुद्दे पर मतभेद हैं, तो उनका समाधान संवाद के द्वारा किया जाए।
नेपाल में रह रहे भारतीयों को वहां के अधिकारियों द्वारा जारी दिशानिर्देशों का गंभीरता से पालन करने की सलाह दी गई है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि नेपाल के कई शहरों में मौजूदा हालात को देखते हुए कर्फ्यू लगाया गया है।
ज्ञात हो कि नेपाल सरकार ने चार सितंबर को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लागू किया था, जिसके खिलाफ देशभर के युवा सड़कों पर उतर आए थे। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया। लेकिन, पुलिस ने इस विरोध को दबाने के लिए बल का प्रयोग किया, जिससे कई युवा घायल हुए और कुछ की जान चली गई।
इस बीच, मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मंत्रिमंडल का एक और मंत्री इस्तीफा दे दिया।
कृषि और पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि देश में हिंसा को देखते हुए वह अपने पद पर नहीं रह सकते।
इससे पहले, नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था।