क्या नेपाल में प्रदर्शनकारी युवाओं के साथ पुलिस का रवैया उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- युवाओं का प्रदर्शन लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- पुलिस द्वारा बल प्रयोग अस्वीकार्य है।
- सरकार को युवाओं की आवाज़ सुननी चाहिए।
- भ्रष्टाचार और राजनीतिक प्रभाव का विरोध आवश्यक है।
- मानवाधिकारों का संरक्षण जरूरी है।
काठमांडू, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल की राजधानी काठमांडू में बड़ी संख्या में युवाओं ने सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए बैन का विरोध किया। इस दौरान पुलिस ने विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया, जिसमें कई युवा घायल हो गए, जो वर्तमान में अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
इस बीच, कई स्थानीय लोगों ने पुलिस के रवैयے की निंदा की और इसे लोकतंत्र के सिद्धांतों पर कुठाराघात बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस इस प्रकार के दमनकारी रवैयों का सहारा लेकर युवाओं के विरोध-प्रदर्शन को नहीं दबा सकती है। यह निश्चित है कि हमारे देश के युवा अपनी वाजिब मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। यह दुखद है कि बल प्रयोग से उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है। यदि सरकार ऐसा जारी रखती है, तो देश का भविष्य अंधकारमय होगा।
राम कृष्ण श्रेष्ठ ने पुलिस की निर्दयता की निंदा की और कहा कि पुलिस ने जिस तरह से युवाओं पर बल प्रयोग किया है, उसकी जितनी निंदा की जाए, कम है। युवा हमारे देश का भविष्य हैं। हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि हम अपने आने वाले भविष्य के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं। मेरी उम्र ५६ साल है और एक पिता के नाते, मैं पुलिस के रवैये का विरोध करता हूं, यह निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि हमें लगता था कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा। यह जानकर दुख हो रहा है कि यह हिंसा में बदल गया है। हमारे कई बच्चे घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। पुलिस ने हमारे युवाओं को मारा है और यह किसी भी देश में स्वीकार्य नहीं है। इस देश में मानवाधिकार आयोग है, और हमारे युवा आज देश के लिए सड़क पर हैं। उनके साथ हिंसात्मक रवैया किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सुलेमानी ने भी पुलिस के रवैये की निंदा की और कहा कि देश के युवाओं के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। हाल की जानकारी के अनुसार, छह लोग गंभीर रूप से घायल हैं। देश की स्थिति निश्चित रूप से बदतर हो चुकी है। भ्रष्टाचार चरम पर है। जब हमारे युवा अपनी आवाज उठाते हैं, तो राजनीतिक घराने इसे स्वीकृति नहीं देते और हिंसा का सहारा लेते हैं।
उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक घरानों के बच्चे विदेशों में लग्जरी लाइफ जी रहे हैं, जबकि मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सरकार का भ्रष्टाचार और देश के हितों की अनदेखी से हालात और भी खराब हो रहे हैं। यह दुखद है कि नेपाल के प्रधानमंत्री इतनी गंभीर स्थिति के बावजूद अपने आवास पर आराम से बैठे हैं। हमें यह भी पता चला है कि प्रदर्शन में जान गंवाने वालों के परिवार को सरकार द्वारा पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। मेरा सवाल है कि इन पैसों से क्या होगा?