क्या एनआईए की कार्रवाई से फुलवारीशरीफ आपराधिक साजिश मामले में पीएफआई के बिहार प्रदेश अध्यक्ष की गिरफ्तारी हुई?

सारांश
Key Takeaways
- महबूब आलम की गिरफ्तारी सुरक्षा एजेंसियों की सख्त कार्रवाई का एक उदाहरण है।
- पीएफआई का उद्देश्य धार्मिक दुश्मनी फैलाना था।
- एनआईए की जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं।
- यह गिरफ्तारी भारत की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
- आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त संगठन पर कार्रवाई जारी है।
नई दिल्ली, १३ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को २०२२ के फुलवारीशरीफ आपराधिक साजिश मामले में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष महबूब आलम उर्फ महबूब आलम नदवी को गिरफ्तार कर लिया।
बिहार के कटिहार जिले के हसनगंज क्षेत्र के निवासी महबूब को किशनगंज से पकड़ा गया। वह इस मामले में गिरफ्तार होने वाला १९वां आरोपी है। शुरू में स्थानीय पुलिस ने २६ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जो बाद में एनआईए को सौंप दिया गया।
इस मामले में पीएफआई के सहयोगी संगठनों की गैरकानूनी और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां शामिल हैं। इनका उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच धार्मिक दुश्मनी फैलाकर आतंक का माहौल बनाना था।
एनआईए की जांच के अनुसार, ये गतिविधियां शांति और सद्भाव के लिए हानिकारक थीं, जिनका लक्ष्य सार्वजनिक शांति भंग करना, भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करना और आपराधिक बल प्रयोग को उचित ठहराना था। पीएफआई के सदस्य भारत में इस्लाम का शासन स्थापित करने के लिए अपनी विचारधारा को बढ़ावा देकर जनता में भय फैला रहे थे। यह संगठन के जब्त दस्तावेज, 'भारत २०४७: भारत में इस्लाम के शासन की ओर, आंतरिक दस्तावेज: प्रसार के लिए नहीं' में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।
११ जुलाई २०२२ को पटना के फुलवारीशरीफ स्थित अहमद पैलेस से जब्त इसी दस्तावेज में महबूब आलम का नाम पीएफआई की साजिश से जुड़ा पाया गया। एनआईए की जांच में पुष्टि हुई कि वह सह-आरोपियों के साथ मिलकर पीएफआई की भर्ती, प्रशिक्षण, बैठकें और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में सक्रिय था। इसके अलावा, उसने धन जुटाया और सह-आरोपियों तथा पीएफआई कार्यकर्ताओं को उपलब्ध कराया।
आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के कारण पीएफआई को सितंबर २०२२ में केंद्र सरकार ने पांच वर्ष के लिए प्रतिबंधित घोषित किया था।
एनआईए ने कहा कि आईपीसी और यूए(पी) अधिनियम के तहत जांच जारी है। यह गिरफ्तारी सुरक्षा एजेंसियों के लगातार प्रयासों का परिणाम है, जो प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।