क्या नीति आयोग ने ‘कृषि की पुनर्कल्पना’ रोडमैप से खेती की तस्वीर बदलने का इरादा किया है?
सारांश
Key Takeaways
- कृषि में तकनीकी नवाचार
- जलवायु प्रतिरोधी बीजों का उपयोग
- डिजिटल तकनीकों की भूमिका
- किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में कदम
- 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नीति आयोग का फ्रंटियर टेक हब ने सोमवार को गुजरात के गांधीनगर में 'कृषि की पुनर्कल्पना: अग्रणी प्रौद्योगिकी-आधारित परिवर्तन हेतु एक रोडमैप' शीर्षक से एक उल्लेखनीय रोडमैप का अनावरण किया।
इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जीतूभाई वघानी, राज्य मंत्री रमेशभाई भूराभाई कटारा, नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार डॉ. हसमुख अधिया, अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अंजू शर्मा, नीति आयोग की कार्यक्रम निदेशक डॉ. नीलम पटेल और विशिष्ट फेलो देबजानी घोष सहित उद्योग, शिक्षा और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के कई प्रतिष्ठित प्रतिनिधि उपस्थित थे।
यह रोडमैप भारत के विविध कृषि परिदृश्य में उत्पादकता, स्थिरता और आय वृद्धि के लिए जलवायु प्रतिरोधी बीजों, डिजिटल ट्विन्स, सटीक कृषि, एजेंटिक एआई और उन्नत मशीनीकरण जैसी अग्रणी तकनीकों का उपयोग करने की रणनीति प्रस्तुत करता है। यह दस्तावेज किसानों को आकांक्षी, परिवर्तनशील और उन्नत तीन श्रेणियों में वर्गीकृत कर, छोटे से लेकर व्यावसायिक किसानों तक की चुनौतियों के समाधान सुझाता है। रोडमैप इस बात पर जोर देता है कि सही तकनीकी हस्तक्षेपों के साथ भारत कृषि लचीलापन, समावेशी ग्रामीण समृद्धि और कृषि-तकनीकी नवाचार में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता प्राप्त कर सकता है और 2047 तक विकसित भारत के विजन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात भारत के कृषि परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए अद्वितीय स्थिति में है। डिजिटल फसल सर्वेक्षण, डिजिटल कृषि फार्म रजिस्ट्री और आई-खेदुत पोर्टल जैसी पहलों के माध्यम से राज्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बना रहा है जो खेती के हर चरण में तकनीक को एकीकृत करता है।
उन्होंने कहा कि ये नवाचार किसानों को फसल रोगों से निपटने, उत्पादकता बढ़ाने और आधुनिक बीजों व उपकरणों को अपनाने में मदद कर रहे हैं। डिजिटल एकीकरण केवल दक्षता का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह किसानों के सशक्तिकरण का माध्यम है। एआई, डेटा और सटीक तकनीक के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर एकड़ अधिक उत्पादक बने, पानी की हर बूंद अधिक मूल्यवान हो और हर किसान अधिक समृद्ध हो।
नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत में कोई भी दो किसान एक जैसे नहीं हैं, इसलिए तकनीक को इस विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए। अग्रणी तकनीकों का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि समाधान कितनी कुशलता से अनुकूलित किए जाते हैं, चाहे छोटे किसानों के लिए हों या व्यावसायिक किसानों के लिए।
उन्होंने कहा कि यदि हम सहानुभूति के साथ डिजाइन करें और सटीकता के साथ लागू करें तो तकनीक आजीविका में वास्तविक परिवर्तन ला सकती है, जिससे कृषि अधिक लचीली, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार बन सकेगी।
नीति आयोग की विशिष्ट फेलो देबजानी घोष ने कहा कि कृषि एक गहन तकनीकी पुनर्जागरण के कगार पर है। अब प्रगति केवल हेक्टेयर या पैदावार में नहीं, बल्कि डेटा, बुद्धिमत्ता और डिजाइन में मापी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह वह दौर है जहां गति, पैमाना और स्मार्ट एकीकरण सफलता को परिभाषित करेंगे, और चुनौती यह नहीं है कि बदलाव आएगा या नहीं, बल्कि यह है कि हर किसान इस नए भविष्य का सह-निर्माता कितनी जल्दी बन सकेगा।
नीति फ्रंटियर टेक हब, विकसित भारत के लिए एक एक्शन टैंक है। सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के 100 से अधिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर, यह 20 से अधिक क्षेत्रों में 10-वर्षीय विषयगत रोडमैप विकसित कर रहा है ताकि परिवर्तनकारी और समावेशी विकास के लिए अग्रणी तकनीकों का उपयोग किया जा सके। यह हब आज 2047 तक एक समृद्ध, लचीले और तकनीकी रूप से उन्नत भारत के निर्माण के लिए समन्वित कार्रवाई को आगे बढ़ा रहा है।