क्या स्कूलों में भगवत गीता का पाठ अनिवार्य होगा?

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क्या स्कूलों में भगवत गीता का पाठ अनिवार्य होगा?

सारांश

भुवनेश्वर में भाजपा विधायक अगस्ती बेहरा ने ओडिशा सरकार के प्रस्ताव का स्वागत किया है, जिसमें स्कूलों में 'ॐ' और भगवत गीता के श्लोकों का पाठ शामिल किया जाएगा। क्या यह शिक्षा में आध्यात्मिकता को बढ़ावा देगा?

Key Takeaways

  • भगवत गीता का पाठ बच्चों में अनुशासन और आत्म-संयम को बढ़ावा देगा।
  • '' का उच्चारण आत्मा को शांति प्रदान करता है।
  • शिक्षा में भारतीय संस्कृति को प्रमुखता देने की आवश्यकता है।
  • यह प्रस्ताव राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • यह कदम शिक्षा प्रणाली को समृद्ध बनाने का प्रयास है।

भुवनेश्वर, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के भाजपा विधायक अगस्ती बेहरा ने राज्य सरकार के उस प्रस्ताव का स्वागत किया है, जिसमें ओडिशा स्कूल करिकुलम फ्रेमवर्क-2025 के तहत स्कूलों में '' के उच्चारण और भगवत गीता के श्लोकों के पाठ को शामिल करने की बात कही गई है।

अगस्ती बेहरा ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में इस निर्णय को राज्य की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप बताया और कहा कि इसमें विरोध का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, " का जाप और गीता के श्लोकों का पाठ आत्मा को शांति देता है। यह परंपरा सदियों से हमारे जीवन का हिस्सा रही है और इसे शिक्षा व्यवस्था में पहले ही शामिल किया जाना चाहिए था। मैं स्कूल एवं जन शिक्षा मंत्री को इस पहल के लिए बधाई देता हूं।"

विधायक बेहरा ने आगे कहा कि भगवत गीता न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसमें दिए गए उपदेश और श्लोक जीवन में शांति, अनुशासन और आत्म-संयम जैसे मूल्यों को स्थापित करते हैं। उनका मानना है कि भगवत गीता का पाठ बच्चों को एकाग्रता और समर्पण की भावना से पढ़ाई करने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा, "आखिरकार हर इंसान किसी न किसी मोड़ पर भगवान की शरण में जाता है। ऐसे में अगर स्कूली जीवन से ही बच्चों को आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा मिलेगी तो वे न केवल अच्छे विद्यार्थी बनेंगे, बल्कि अच्छे इंसान भी बनेंगे।"

बेहरा ने यह भी कहा कि समय आ गया है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में भारतीय संस्कृति और मूल्यों को फिर से प्रमुखता दी जाए। उन्होंने इसे 'राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम' बताते हुए कहा कि भगवत गीता जैसे ग्रंथों के माध्यम से बच्चों को धार्मिक सहिष्णुता, करुणा, और जीवन की सच्चाइयों से अवगत कराया जा सकता है। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह कोई धार्मिक प्रचार नहीं, बल्कि संस्कार आधारित शिक्षा का हिस्सा होगा।

बता दें कि ओडिशा सरकार का यह प्रस्ताव पर चर्चा का विषय बना हुआ है।

Point of View

यह प्रस्ताव एक सकारात्मक कदम है, जो शिक्षा प्रणाली में भारतीय संस्कृति और मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करता है। हालांकि, इसे सभी दृष्टिकोणों से देखा जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षा का उद्देश्य संतुलित और समग्र हो।
NationPress
20/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या सभी स्कूलों में भगवत गीता का पाठ अनिवार्य होगा?
यह प्रस्ताव अभी चर्चा में है और इसे लागू करने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होंगे।
क्या यह धार्मिक प्रचार है?
विधायक बेहरा का कहना है कि यह संस्कार आधारित शिक्षा का हिस्सा है, न कि धार्मिक प्रचार।