क्या ओम बिरला ने यूपीएससी के योगदान को लोकतांत्रिक और प्रशासनिक ढांचे में याद किया?

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क्या ओम बिरला ने यूपीएससी के योगदान को लोकतांत्रिक और प्रशासनिक ढांचे में याद किया?

सारांश

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के शताब्दी वर्ष पर आयोजित सम्मेलन में ओम बिरला और अन्य नेताओं ने इसके योगदान को सराहा। यह सम्मेलन यूपीएससी की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करता है, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में महत्वपूर्ण है। जानिए इस समारोह में क्या-क्या हुआ?

Key Takeaways

  • यूपीएससी की शताब्दी यात्रा ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यूपीएससी के निर्माण में योगदान देने वालों को याद किया।
  • सिविल सेवकों की चुनौतियों और अपेक्षाओं पर चर्चा हुई।
  • भविष्य में सेवा सुधार के उपायों पर विचार किया गया।

नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय शताब्दी सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, और यूपीएससी अध्यक्ष अजय कुमार जैसे कई प्रमुख अधिकारी शामिल हुए। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यूपीएससी द्वारा पिछले 100 वर्षों में किए गए योगदान और भारत के लोकतांत्रिक और प्रशासनिक ढांचे में इसकी भूमिका को याद करना है।

ओम बिरला ने सम्मेलन में कहा, "संघ लोक सेवा आयोग की शताब्दी यात्रा पर सभी को शुभकामनाएं। यह भारत के लोकतांत्रिक और प्रशासनिक ढांचे की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। संविधान दिवस के अवसर पर भी बधाई। मैं उन सभी का स्मरण करता हूं जिन्होंने पिछले 100 वर्षों में यूपीएससी के निर्माण और विकास में योगदान दिया और अब हमारे बीच नहीं हैं, साथ ही उन लोगों का भी स्मरण करता हूं जो आज भी अपने मूल्यवान विचारों और प्रयासों से आयोग का मार्गदर्शन कर रहे हैं।"

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, "यह एक बहुत ही शुभ संयोग है कि 2025 में कई ऐतिहासिक घटनाएं देखने को मिलेंगी। इस वर्ष कई महान व्यक्तित्वों की जयंती भी मनाई जाएगी, जिन्होंने किसी न किसी रूप में भारत की प्रगति, संविधान, लोकतांत्रिक ढांचे या सांस्कृतिक विरासत में योगदान दिया।"

यूपीएससी के अध्यक्ष अजय कुमार ने शताब्दी समारोह पर कहा, "यूपीएससी 100 वर्षों की योग्यता, ईमानदारी और विश्वास का प्रतीक है। यह सभी उम्मीदवारों और सिविल सेवकों के लिए निष्पक्षता का प्रतीक माना जाता है। जैसे-जैसे देश 'विकसित भारत' बनने की ओर बढ़ रहा है, सिविल सेवकों से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। यूपीएससी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि वे बदलती चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हों।"

इस दो दिवसीय सम्मेलन में यूपीएससी के ऐतिहासिक योगदान, देश की प्रशासनिक प्रणाली में इसकी भूमिका और सिविल सेवा परीक्षा के महत्व पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। इसके साथ ही, भविष्य में सेवा में सुधार और उम्मीदवारों की तैयारियों को बेहतर बनाने के उपायों पर भी चर्चा हो रही है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम यूपीएससी के 100 वर्षों के योगदान को समझें। यह संस्था न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया में बल्कि लोकतंत्र के सुदृढ़ीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके माध्यम से सिविल सेवक तैयार होते हैं, जो देश की सेवा में निरंतर अग्रसर रहते हैं। यूपीएससी का भविष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

यूपीएससी की स्थापना कब हुई थी?
यूपीएससी की स्थापना 1926 में हुई थी।
यूपीएससी का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
यूपीएससी का प्रमुख उद्देश्य सिविल सेवाओं के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन करना है।
यूपीएससी का शताब्दी समारोह कब मनाया गया?
यूपीएससी का शताब्दी समारोह 26 और 27 नवंबर 2023 को मनाया गया।
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