क्या भारत में ओएनजीसी और बीपी मिलकर गहरे समुद्र में तेल एवं गैस की खोज करेंगे?

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क्या भारत में ओएनजीसी और बीपी मिलकर गहरे समुद्र में तेल एवं गैस की खोज करेंगे?

सारांश

भारत में ओएनजीसी और बीपी के बीच नई साझेदारी शुरू हो रही है, जो गहरे समुद्र में तेल और गैस की खोज करेगी। यह देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम है। जानें इस साझेदारी के पीछे की रणनीति और संभावनाएँ।

Key Takeaways

  • ओएनजीसी और बीपी के बीच साझेदारी
  • गहरे समुद्र में तेल और गैस की खोज
  • 3,200 करोड़ रुपए का निवेश
  • नई भूकंपीय तकनीक का उपयोग
  • भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना

नई दिल्ली, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरकारी तेल कंपनी ओएनजीसी और वैश्विक ऊर्जा दिग्गज बीपी संयुक्त रूप से अगले वर्ष से गहरे समुद्र में तेल एवं गैस की खोज करने जा रही हैं। यह पहल देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार के तेल और गैस खोजने के मिशन का हिस्सा है, जिससे ऊर्जा आयात में कमी लाई जा सके। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने साझा की।

इस ड्रिलिंग में बीपी सहायक भूमिका निभाएगी और यह अंडमान, महानदी, सौराष्ट्र और बंगाल अपतटीय तलछटी घाटियों पर केंद्रित होगी। इस पूरे अभियान के लिए 3,200 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।

ओएनजीसी ने इस वर्ष जुलाई में बीपी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत एक साझेदारी बनाई जाएगी, जो भूवैज्ञानिक समझ को बढ़ाएगी और अप्रयुक्त हाइड्रोकार्बन क्षमता को उजागर करेगी, जिससे भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।

नई भूकंपीय तकनीकों से समर्थित, गहरे पानी की खोज में बीपी का अनुभव, स्ट्रेटीग्राफिक ड्रिलिंग के लिए कुओं के डिजाइन और स्थान निर्धारण में सहायक रहेगा। समझौते के तहत, ओएनजीसी निवेश करेगी, जबकि बीपी विशेषज्ञता प्रदान करेगी।

स्ट्रेटीग्राफिक ड्रिलिंग अपतटीय बेसिनों के भूविज्ञान को समझने और संभावित हाइड्रोकार्बन संसाधनों की पहचान पर केंद्रित होगी, जो भविष्य में तेल और गैस अन्वेषण के लिए उपयोगी हो सकती है।

दिल्ली में आयोजित ऊर्जा वार्ता 2025 कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में अंडमान और निकोबार बेसिन के भूवैज्ञानिक महत्व का उल्लेख किया था। भारतीय और बर्मी प्लेटों की सीमा पर स्थित इस विवर्तनिक संरचना के कारण कई स्ट्रेटीग्राफिक ट्रैप बने हैं जो हाइड्रोकार्बन संचय के लिए अनुकूल हैं। म्यांमार और उत्तरी सुमात्रा में सिद्ध पेट्रोलियम प्रणालियों से इस बेसिन की निकटता इस भूवैज्ञानिक संभावना को और बढ़ा देती है।

इसके अतिरिक्त, अब तक के अन्वेषण परिणामों के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओएनजीसी ने 20 ब्लॉकों में हाइड्रोकार्बन खोजें की हैं, जिनमें अनुमानित 75 मिलियन मीट्रिक टन तेल समतुल्य भंडार है। ऑयल इंडिया लिमिटेड ने पिछले चार वर्षों में सात तेल और गैस खोजें की हैं, जिनमें अनुमानित 9.8 मिलियन बैरल तेल और 2,706.3 मिलियन मानक घन मीटर गैस भंडार है।

Point of View

NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

ओएनजीसी और बीपी के बीच समझौते का मुख्य उद्देश्य क्या है?
समझौते का मुख्य उद्देश्य गहरे समुद्र में तेल और गैस की खोज के माध्यम से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
इस परियोजना में कितना निवेश किया जाएगा?
इस अभियान के लिए 3,200 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
गहरे समुद्र में खोज के लिए कौन सी तकनीक का उपयोग किया जाएगा?
नई भूकंपीय तकनीकों का उपयोग किया जाएगा जो स्ट्रेटीग्राफिक ड्रिलिंग को सपोर्ट करेगी।
इस खोज का भूवैज्ञानिक महत्व क्या है?
अंडमान और निकोबार बेसिन के भूवैज्ञानिक महत्व के कारण हाइड्रोकार्बन संचय के लिए कई संभावनाएँ हैं।
ओएनजीसी ने पहले कितनी हाइड्रोकार्बन खोजें की हैं?
ओएनजीसी ने 20 ब्लॉकों में हाइड्रोकार्बन खोजें की हैं, जिनका अनुमानित भंडार 75 मिलियन मीट्रिक टन है।