क्या उल्टा स्वास्तिक बनाने से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं? ऊन महालक्ष्मी की विशेष पूजा दिवाली पर

सारांश
Key Takeaways
- ऊँ महालक्ष्मी मंदिर का उल्टा स्वास्तिक बनाने से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं।
- दिवाली पर विशेष पूजा और हवन का आयोजन होता है।
- मंदिर में मां के तीन रूपों का दर्शन होता है।
- मंदिर की प्रतिमा 1000 वर्ष पुरानी है।
- भक्तों की मान्यता है कि सच्चे मन से मां की आराधना करने से मुरादें पूरी होती हैं।
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत, मंदिरों का देश है, जहां शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिरों की मान्यता अत्यधिक है। विभिन्न राज्यों में अनेक शक्तिपीठ और सिद्धपीठ हैं, जहां भक्त अपनी मुरादों के साथ भगवान के दर्शन के लिए आते हैं।
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित ऊँ महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर खास महत्व रखता है। यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने पर महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं। इस मंदिर का इतिहास भी उतना ही पुराना है, जितना इसकी मान्यता। दिवाली के अवसर पर श्रद्धालु विशेष परंपरा का पालन करते हैं, जिसमें अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं। जब उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं, तो वे पुनः सच्चे मन से मंदिर में आकर सीधे स्वास्तिक बनाते हैं।
मंदिर में स्थित महालक्ष्मी की प्रतिमा अत्यंत आकर्षक है। कहा जाता है कि मां तीन अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं: सुबह बच्चे के रूप में, दोपहर में युवा के रूप में, और रात को वृद्ध महिला के रूप में। मां के छह हाथ हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र उपस्थित हैं, और वह कमल के फूल पर विराजमान हैं। ऊँ महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण परमार राजाओं के समय में हुआ था। उस काल में खरगोन और उसके आस-पास कई मंदिरों का निर्माण किया गया था। अन्य सभी मंदिरों की स्थिति जर्जर हो चुकी है, लेकिन मां लक्ष्मी का मंदिर आज भी अच्छी स्थिति में है।
इस मंदिर की प्रतिमा 1000 वर्ष पुरानी है, जिसे पत्थर से बनाया गया था। भक्तों के बीच ऊँ महालक्ष्मी का मंदिर अत्यंत लोकप्रिय है। भक्तों का मानना है कि जो भी सच्चे मन से मां की आराधना करता है, उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है। यहां मां को धन, सुख, यश और वैभव की देवी के रूप में पूजा जाता है। दिवाली पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष हवन किया जाता है। भक्तों के लिए मंदिर के द्वार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में खोले जाते हैं और इस दिन हजारों भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं।