क्या जिन्ना के रास्ते पर चल रहे हैं ओवैसी जैसे लोग, भुला दिए जाएंगे ऐसे नेता?: राजीव रंजन
सारांश
Key Takeaways
- ओवैसी की टिप्पणियों पर राजीव रंजन की तीखी प्रतिक्रिया।
- मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की चर्चा।
- भारत में हवाई यात्रा के विकास पर सरकार का ध्यान।
- वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर चर्चा।
- संविधान में धर्म की स्वतंत्रता का महत्व।
पटना, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के साथ ही मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विषय पर भी बहस संभव है। जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने विपक्ष को चर्चा के दौरान सकारात्मक भूमिका निभाने की सलाह दी। इस दौरान उन्होंने एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को भी निशाने पर लिया।
जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "कई बार बेवजह आरोप-प्रत्यारोप हुए हैं, फिर भी चुनाव सुधारों की प्रक्रिया लगातार जारी रही है। लेकिन इस महत्वपूर्ण सत्र को हंगामे से नहीं भटकना चाहिए। विपक्ष को सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। देश के 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर अभियान चल रहा है। अन्य विचार भी सामने आ सकते हैं और उनका स्वागत होना चाहिए।"
इंडिगो की उड़ान में देरी और रद्दीकरण पर जदयू प्रवक्ता ने कहा, "नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं, और कल केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी कार्रवाई एक मिसाल बनेगी, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। भारत में हवाई यात्रियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए भारत सरकार पांच नई एयरलाइंस शुरू करने पर विचार कर रही है और उन्हें हरसंभव सहायता दी जाएगी।"
उन्होंने संविधान पर ओवैसी के हालिया बयान पर कहा, "ओवैसी जैसे लोग कुछ मायनों में जिन्ना के रास्ते पर चल रहे हैं।" राजीव रंजन ने कहा कि अलग-अलग धर्मों के मानने वालों के बीच बंटवारे की दीवारें बनाकर वे उन लाखों भारतीयों के दिलों में जगह बनाने की उम्मीद नहीं कर सकते जो भारत की संस्कृति से प्यार करते हैं। ओवैसी जैसे नेताओं को भविष्य में भुला दिया जाएगा। भारतीय जनता की सोच और चेतना में ऐसे नेताओं के लिए कोई स्थान नहीं है।"
दरअसल, लोकसभा में चर्चा के दौरान ओवैसी ने कहा था कि किसी नागरिक को वंदे मातरम गाने या किसी देवता/धार्मिक प्रतीक की पूजा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। देश का संविधान हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता और समान अधिकार देता है। देशभक्ति को किसी धर्म या धार्मिक प्रतीक से जोड़ना उचित नहीं है।
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने संसद में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर हो रही विशेष चर्चा पर कहा, "यह वास्तव में गर्व की बात है कि 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने के अवसर पर लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने दस घंटे की चर्चा में अपने विचार साझा किए। यह स्पष्ट है कि यह रचना उन बहादुर क्रांतिकारियों के बलिदान, समर्पण और भक्ति का सम्मान करती है, जिन्होंने भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी।"