क्या पगड़ी पहनकर हर्षदीप कौर ने बनाई है अपनी अलग पहचान, बिग बी ने दिया 'सूफी की सुल्ताना' नाम?

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क्या पगड़ी पहनकर हर्षदीप कौर ने बनाई है अपनी अलग पहचान, बिग बी ने दिया 'सूफी की सुल्ताना' नाम?

सारांश

हर्षदीप कौर ने पगड़ी पहनकर सूफी संगीत में एक अनोखी पहचान बनाई है। बिग बी ने उन्हें 'सूफी की सुल्ताना' का खिताब देकर उनकी कला को सराहा। आइए जानते हैं उनके संगीत सफर के बारे में।

Key Takeaways

  • हर्षदीप कौर की पगड़ी उनकी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • उन्होंने सूफी संगीत में अद्वितीय पहचान बनाई है।
  • बिग बी ने उन्हें 'सूफी की सुल्ताना' का खिताब दिया।
  • हर्षदीप का संगीत सफर प्रेरणादायक है।
  • वे बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों के लिए गा चुकी हैं।

मुंबई, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर्षदीप कौर का नाम सुनते ही उनकी मधुर आवाज का जादू लोगों के दिलों में बस जाता है। बॉलीवुड और सूफी संगीत में उन्होंने अपनी अद्वितीय पहचान बनाई है। उनकी गायकी की शक्ति ही नहीं, बल्कि उनका स्टाइल और पहनावा भी उन्हें दर्शकों के बीच खास बनाता है, विशेषकर उनकी पगड़ी, जो केवल एक ड्रेस स्टेटमेंट नहीं, बल्कि उनकी पहचान का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है।

गायन के दौरान हर्षदीप हमेशा पगड़ी पहनती हैं, जो उन्हें अन्य गायकों से अलग करती है।

हर्षदीप का जन्म 16 दिसंबर 1986 को दिल्ली में हुआ। उनके पिता एक संगीत उपकरण की फैक्ट्री के मालिक हैं। हर्षदीप ने बचपन से ही संगीत के माहौल में पली-बढ़ी। उन्होंने महज छह साल की उम्र में संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया। पियानो और शास्त्रीय संगीत की तालीम उन्होंने दिल्ली के स्कूल ऑफ म्यूजिक से ली।

हर्षदीप ने प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। 12 साल की उम्र में उन्होंने पियानो सीखना शुरू किया और 16 साल की उम्र में बॉलीवुड में अपना पहला गाना 'सजना मैं हारी' गाया। लेकिन उन्हें पहचान 2008 में रियलिटी शो 'जुनून- कुछ कर दिखाने का' में भाग लेने पर मिली। इस शो में उन्होंने सूफी, फोक और बॉलीवुड तीनों शैलियों में परफॉर्म किया।

इस दौरान उन्होंने अपनी पगड़ी पहनकर गाने की इच्छा व्यक्त की, जो उनके धार्मिक और पारंपरिक विश्वासों से जुड़ी थी। यही पगड़ी और उनका सूफी अंदाज उन्हें दर्शकों और जजों के बीच विशेष बना गया। शो के ग्रैंड फिनाले में महानायक अमिताभ बच्चन ने उन्हें 'सूफी की सुल्ताना' का खिताब दिया। इस खिताब ने उन्हें देशभर में एक अनोखी पहचान दिलाई।

हर्षदीप ने बॉलीवुड में कई यादगार गाने दिए हैं। 'इक ओंकार', 'कतिया करूं', 'दिलबरों', 'जुगनी', 'हीर और जालिमा', 'नचड़े दे सारे' और 'माई रे माई' जैसे गाने उनके करियर में चार चांद लगा चुके हैं। उनका अंदाज, उनकी पगड़ी और उनकी संगीत शैली ने हर्षदीप को केवल एक गायिका ही नहीं, बल्कि एक आइकॉन बना दिया है।

हर्षदीप ने बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड फिल्मों के लिए भी गाना गाया है। ऑस्कर विजेता निर्देशक डैनी बॉयल की फिल्म '127 आवर्स' के लिए भी उन्होंने अपनी आवाज दी है। इसके अलावा, वह कई लाइव कॉन्सर्ट्स भी करती रहती हैं।

हर्षदीप को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उन्हें 'दिलबरों' गाने के लिए आईफा और स्क्रीन अवॉर्ड, 'बानी-इश्क दा कलमा' के लिए भारतीय टेलीविजन अकादमी पुरस्कार और कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए हैं।

Point of View

बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक कलाकार अपनी संस्कृति और परंपराओं को अपनाते हुए एक नई पहचान बना सकता है।
NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

हर्षदीप कौर का जन्म कब हुआ?
हर्षदीप कौर का जन्म 16 दिसंबर 1986 को दिल्ली में हुआ।
हर्षदीप कौर ने कब से संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया?
हर्षदीप ने छह साल की उम्र में संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया।
हर्षदीप कौर को कौन सा खिताब मिला है?
उन्हें शो 'जुनून' के ग्रैंड फिनाले में 'सूफी की सुल्ताना' का खिताब मिला।
हर्षदीप कौर के कुछ प्रसिद्ध गाने कौन से हैं?
हर्षदीप के प्रसिद्ध गाने हैं 'इक ओंकार', 'दिलबरों', और 'जुगनी'।
हर्षदीप कौर ने किस हॉलीवुड फिल्म के लिए गाया है?
उन्होंने ऑस्कर विजेता फिल्म '127 आवर्स' के लिए गाना गाया है।
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