क्या पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हैजे का प्रकोप बढ़ रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हैजे का प्रकोप बढ़ रहा है।
- इस हफ्ते आठ लोगों की जान गई है, जिनमें छह बच्चे शामिल हैं।
- स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने अस्थायी अस्पताल स्थापित किया है।
- स्वास्थ्य अधिकारियों ने पानी के नमूने लिए हैं।
- जलवायु परिवर्तन से जुड़े कारणों का भी ध्यान रखा जा रहा है।
इस्लामाबाद, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को जानकारी दी कि पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में इस हफ्ते हैजा फैलने के कारण आठ लोगों की जान चली गई, जिनमें से छह बच्चे शामिल हैं। इससे पिछले तीन हफ्तों में कुल मृतकों की संख्या 12 हो गई है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी अब्दुल गफ्फार खेतरान ने सिंहुआ न्यूज एजेंसी को बताया कि यह मामला मुसाखेल जिले के चीना खुंडी क्षेत्र से संबंधित है, जहां छह बच्चों और दो पुरुषों की जान गई। उन्होंने कहा कि क्वेटा, लोरालाई और बरखान से चिकित्सा टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं, और प्रांतीय स्वास्थ्य महानिदेशक के निर्देश पर दवाइयाँ भेजी गई हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मरीजों को आपातकालीन उपचार देने के लिए एक सरकारी स्कूल को अस्थायी अस्पताल में परिवर्तित किया गया है।
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, क्षेत्र में 14 मरीजों का उपचार चल रहा है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बीमारी फैलने के स्रोत का पता लगाने के लिए पानी के नमूने भी एकत्र किए हैं।
इस वर्ष की शुरुआत में, पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने राष्ट्रीय हैजा नियंत्रण योजना 2025-2028 की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य 2030 तक मृत्यु दर में 90 प्रतिशत की कमी लाना है और देश को गंभीर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाओं के संदर्भ में हैजा के प्रकोप को रोकने, पहचानने और उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करना है।
पाकिस्तान में हैजा एक एंडेमिक (स्थानीय) बीमारी है। 2023 से जुलाई 2025 तक हर साल औसतन 21,000 से अधिक संदिग्ध और 250 कंफर्म मामले रिपोर्ट किए गए हैं। इस साल स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ ने राष्ट्रीय हैजा नियंत्रण योजना 2025-2028 शुरू की, जिसका लक्ष्य 2030 तक मौतों में 90 प्रतिशत की कमी लाना है।
हैजा विभ्रियो कोलेरी बैक्टीरिया से होता है, जो दूषित पानी या भोजन से फैलता है और गंभीर डायरिया का कारण बनता है। समय पर उपचार न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं ऐसे प्रकोप को बढ़ावा दे रही हैं।
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग सतर्क है और उपचार एवं जांच जारी है। यदि आप या आपके जानने वाले प्रभावित क्षेत्र में हैं, तो साफ पानी का उपयोग करें, हाथों को अच्छी तरह धोएं और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह स्थिति गंभीर है, लेकिन समय पर कदम उठाने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।