क्या कोई पद छोटा या बड़ा नहीं होता? पंकज चौधरी
सारांश
Key Takeaways
- पद का महत्व: कोई पद छोटा या बड़ा नहीं होता।
- दायित्व निभाना: पार्टी के दायित्वों को पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए।
- राजनीतिक सफर: पंकज चौधरी का सफर प्रेरणादायक है।
लखनऊ, १३ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि कोई पद छोटा या बड़ा नहीं होता। चौधरी ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हमें पार्टी द्वारा सौंपे गए दायित्व को लगन से पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संगठन का काम कोई चुनौती नहीं है।
उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने पांच सेट में पर्चा दाखिल किया है, जिसकी स्क्रूटनी चल रही है। इसके बाद यह स्पष्ट होगा कि कितने पर्चे वैध हैं और कितने अवैध। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल परिणाम की घोषणा करेंगे। निश्चित रूप से जो व्यक्ति पार्टी की सेवा करता है, उसके लिए कोई पद छोटा या बड़ा नहीं होता।
बता दें कि भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पंकज चौधरी ने शनिवार को नामांकन किया। १९६४ में जन्मे पंकज चौधरी ने हमेशा राजनीति में ऊंचे शिखर पर चढ़ते रहे हैं। उन्होंने गोरखपुर से शिक्षा ग्रहण की और १९८९ में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत गोरखपुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ने से की और जीते। १९८९ में ही गोरखपुर से कटकर महाराजगंज अलग जिला बना, जिसके बाद पंकज ने महाराजगंज को अपने राजनीतिक केंद्र के रूप में अपनाया।
पंकज चौधरी कुर्मी बिरादरी से आते हैं और वे सात बार के सांसद हैं। उनकी मां उज्ज्वल चौधरी भी महाराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है और एक साल तक नगर निगम के डिप्टी मेयर के रूप में कार्य किया। १९९१ में १०वीं लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद, उन्होंने १९९६ और १९९८ में भी चुनाव जीते। हालांकि, १९९९ के आम चुनावों में उन्हें समाजवादी पार्टी के अखिलेश सिंह से हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद, पंकज चौधरी ने २००४ में लोकसभा चुनाव जीता और २००९ में कांग्रेस के उम्मीदवार हर्षवर्धन से हार गए। फिर २०१४ में उन्होंने महाराजगंज से जीत हासिल की और २०१९ और २०२४ के चुनावों में भी सफल रहे। चौधरी वर्तमान में वित्त राज्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं।