क्या सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को मनरेगा मामले में राहत दी?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को मनरेगा मामले में राहत दी।
- केंद्र सरकार की याचिका खारिज की गई।
- मनरेगा योजना एक अगस्त से पुनः लागू होगी।
- भ्रष्टाचार की जांच अलग से की जाएगी।
- यह फैसला बंगाल के लोगों की जीत है।
कोलकाता, २७ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को राहत दी है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद मनरेगा को बंद न करने और एक अगस्त से योजना को पुनः लागू करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील को खारिज करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा।
यह मामला तीन वर्ष पूर्व से मनरेगा में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार ने इन आरोपों के आधार पर पश्चिम बंगाल में इस योजना को रोक दिया था, जबकि हाईकोर्ट ने अपने १८ जून के आदेश में स्पष्ट किया था कि भ्रष्टाचार की जांच अलग से की जाए, किंतु योजना को बंद नहीं किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि योजना का लाभ ग्रामीण नागरिकों को मिलना जारी रहना चाहिए और इसके कारण लोगों को रोजगार मिलने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।
कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और जस्टिस चैताली दास शामिल थे, ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि १ अगस्त से योजना को पुनः शुरू किया जाए। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि भ्रष्टाचार की जांच प्रक्रिया चल सकती है, लेकिन इसका प्रभाव योजना के नियमित संचालन पर नहीं पड़ना चाहिए।
केंद्र सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए राज्य सरकार को राहत दी।
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया और कहा कि बांग्ला-विरोधी जमींदारों की एक और करारी हार है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बंगाल में मनरेगा को फिर से शुरू करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह बंगाल के लोगों की ऐतिहासिक जीत है, जिन्होंने दिल्ली के अहंकार और अन्याय के आगे झुकने से इंकार कर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे हमें राजनीतिक रूप से हराने में असफल रहे, तो अभाव को हथियार बनाया। उन्होंने बंगाल पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी, गरीबों की मजदूरी छीन ली और मां, माटी और मानुष के साथ खड़े होने की सजा लोगों को दी। लेकिन बंगाल झुकने वाला नहीं है। हमने हर जायज रुपए, हर ईमानदार मजदूर और हर खामोश आवाज के लिए लड़ने का वादा किया था। आज का फैसला उन लोगों के मुंह पर एक लोकतांत्रिक तमाचा है जो मानते थे कि बंगाल को धमकाया, मजबूर किया या चुप कराया जा सकता है। भाजपा के अहंकार की सजा मिल गई है। वे बिना किसी जवाबदेही के सत्ता चाहते हैं।