'स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस': क्या पटना में शिवाजी महाराज की प्रतिमा की मांग तेज हो रही है?

सारांश
Key Takeaways
- छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा की स्थापना की मांग पर जोर दिया गया।
- रैली में लाखों लोगों ने भाग लिया और संकल्प लिया।
- यह रैली शिवाजी महाराज के मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है।
- किसानों के हितों के लिए शिवाजी महाराज की नीतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं।
- सुशासन की अवधारणा की नींव शिवाजी महाराज ने रखी थी।
पटना, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजधानी पटना के दीघा घाट मरीन ड्राइव पर रविवार को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। राज्य के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में लोगों ने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस' की स्थापना के लिए मां गंगा के समक्ष संकल्प लिया।
मरीन ड्राइव पर उपस्थित जनसमूह ने संयुक्त रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, प्रशासनिक क्षमताओं और किसानों के हित के लिए उनकी नीतियों के प्रतीक के रूप में 'स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस' की स्थापना की मांग की। इस रैली का नेतृत्व वरिष्ठ भाजपा नेता और छत्रपति शिवाजी महाराज सामाजिक समरसता अभियान के संयोजक प्रणव प्रकाश ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
समाजसेवी प्रणव प्रकाश ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में यादवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या शिवाजी के वंशजों की है। यहां लगभग 5.8 प्रतिशत कुर्मी जाति के लोग निवास करते हैं। शिवाजी महाराज महासंकल्प रैली का उद्देश्य केवल प्रतिमा की स्थापना की मांग नहीं है, बल्कि यह भारत के आत्मसम्मान, सुशासन और किसानों की प्रतिष्ठा के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज के मूल्यों को जनमानस तक पहुँचाने का संकल्प है। यह प्रतिमा केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व की स्मृति नहीं, बल्कि आज के भारत के लिए, जहाँ सुशासन, आत्मनिर्भरता और किसान हित सर्वोपरि हैं, प्रेरणास्रोत भी बनेगी।
उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापना अभियान में 20 अप्रैल को बिहारशरीफ के श्रम कल्याण मैदान में लगभग 30 हजार समर्थकों ने एक साथ संकल्प लिया। इसी क्रम में दीघाघाट के पास शिवाजी के करीब 10 हजार समर्थकों का जमावड़ा हुआ और मां गंगा के सामने संकल्प लिया गया ताकि एक विशाल प्रतिमा की स्थापना हो सके। छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक वीर योद्धा नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और लोक कल्याणकारी राजा भी थे। आज के भारत में सुशासन की जो परिकल्पना की जाती है, उसकी नींव शिवाजी महाराज ने 17वीं शताब्दी में रखी थी।
उन्होंने आगे कहा कि किसानों के लिए शिवाजी महाराज की नीतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने किसानों को भूमि का अधिकार, सिंचाई की सुविधाएं, फसल की सुरक्षा और करों में रियायतें प्रदान की थीं।