क्या पेरू की सड़कों पर जेन जी के विरोध में पुलिस की कार्रवाई अत्याचार है?

सारांश
Key Takeaways
- पेरू में युवा सरकार के नए कानून से नाराज हैं।
- मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है।
- विरोध प्रदर्शन में 19 लोग घायल हुए हैं।
- पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
- सामाजिक अशांति बढ़ रही है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरकारी अधिकारियों और मानवाधिकार अधिवक्ताओं के अनुसार, पेरू की राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे की सरकार और कांग्रेस के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान एक पुलिस अधिकारी समेत 19 लोग घायल हुए हैं।
सप्ताहांत में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने भारी पुलिस बल की उपस्थिति में मध्य लीमा (पेरू की राजधानी) में सरकारी कार्यालयों की ओर मार्च किया। युवाओं ने पुलिस पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं।
पेरू में विभिन्न मानवाधिकार संगठनों के मेल से बने नेशनल ह्यूमन राइट्स को-आर्डिनेटर (सीएनडीडीएचएच) ने रविवार को बताया कि झड़प में एक पत्रकार समेत 18 लोग घायल हुए हैं।
पेरू पुलिस ने शनिवार को सोशल मीडिया पर झड़पों की तस्वीरें साझा करते हुए कहा, "विभिन्न समूहों द्वारा आयोजित मार्च के दौरान एक पुलिस अधिकारी पेट्रोल बम से थोड़ा झुलस गया।"
सीएनडीडीएचएच ने हिंसा के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। उसने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'विरोध को अपराध नहीं अधिकार बताया।' अपनी पोस्ट में लिखा, "हम पेरू पुलिस की लामबंद हो रही जनता पर किए गए हमले की निंदा करते हैं। यह कार्रवाई शांतिपूर्ण विरोध को कमजोर करती है और संविधान में मान्यता प्राप्त प्रदर्शन के अधिकार का उल्लंघन करती है।" साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया कि वे उन लोगों के खिलाफ होने वाली आक्रामकता को रोकने और उसकी जांच करने के लिए सतर्क रहें जो वैध रूप से अपने विरोध के अधिकार का प्रयोग करते हैं।
सीएनडीडीएचएच ने एक और पोस्ट में लिखा, "हम पुलिस से विरोध के अधिकार का सम्मान करने का आह्वान करते हैं। भारी मात्रा में आंसू गैस छोड़ने का कोई औचित्य नहीं था।"
कथित भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के विरोध में सैकड़ों परिवहन कर्मचारियों और जेनरेशन जी युवा समूह द्वारा रविवार रात को निकाले गए मार्च को दर्जनों पुलिस अधिकारियों ने आंसू गैस का इस्तेमाल करके तितर-बितर कर दिया।
बोलुआर्टे सरकार ने 5 सितंबर को एक कानून पारित किया था जिसके बाद देश का युवा नाराज है। सामाजिक अशांति बढ़ गई है, जिसमें युवाओं को नौकरी की असुरक्षा और 70 प्रतिशत से अधिक की अनौपचारिक रोजगार दर के बावजूद निजी पेंशन फंड में योगदान करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। नए नियम के मुताबिक, 18 साल से अधिक उम्र के हर शख्स को किसी न किसी पेंशन कंपनी से जुड़ना होगा।