क्या पटियाला हाउस कोर्ट में पीएफआई के 20 शीर्ष नेताओं पर आरोप तय होंगे?
सारांश
Key Takeaways
- पीएफआई के 20 नेताओं पर आरोप तय करने की सुनवाई चल रही है।
- एनआईए ने गंभीर दलीलें पेश की हैं।
- संगठन का उद्देश्य शरीया कानून लागू करना था।
- अगली सुनवाई 23 दिसंबर 2025 को होगी।
- पीएफआई पर बैन लगा हुआ है।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पटियाला हाउस कोर्ट में शनिवार को पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के 20 प्रमुख नेताओं के खिलाफ आरोप तय करने की सुनवाई हुई। यह सुनवाई एनआईए की विशेष अदालत में आयोजित की गई थी। एनआईए ने आरोप तय करने के मामले में अपनी दलील पूरी कर दी है।
एनआईए ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि पीएफआई का उद्देश्य देश में शरीया कानून लागू करना था। इसके लिए संगठन ने पूरे देश में कार्यालय खोले और मुस्लिम युवाओं को अन्य धर्मों के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया।
एनआईए ने बताया कि पीएफआई के निशाने पर कई बीजेपी नेता और आरएसएस के सदस्य भी थे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि पीएफआई का लक्ष्य केवल धार्मिक हिंसा फैलाना नहीं था, बल्कि युवाओं को कट्टरपंथ की ओर आकर्षित कर देश में अलगाव और भय का माहौल उत्पन्न करना भी था। यह संगठन लंबे समय से सक्रिय था और इसके कई नेता देशभर में लोगों को अपने एजेंडे के लिए प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे।
अदालत में एनआईए ने यह तर्क दिया कि संगठन की गतिविधियों में न केवल कानून का उल्लंघन शामिल था, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा बन गया था। एनआईए ने अदालत से अनुरोध किया कि सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लिया जाए।
आज की सुनवाई में मुख्य रूप से एनआईए ने अपनी दलील अदालत के सामने रखी। अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद अगली सुनवाई 23 दिसंबर 2025 के लिए निर्धारित की है।
गौरतलब है कि एनआईए ने 2022 में पीएफआई के 20 नेताओं को गिरफ्तार किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने संगठन पर बैन लगा दिया था। इसे हिंदुत्व समूहों से लड़ने के लिए गठित बताया गया और भारतीय गृह मंत्रालय ने इसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 28 सितंबर 2022 से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया।