क्या पीएम मोदी ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को मजबूती से रखा?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट रुख रखा है।
- भाषा विवाद के दौरान अपमान नहीं होना चाहिए।
- आतंकवाद को छद्म युद्ध नहीं माना जाना चाहिए।
- भाजपा का नेतृत्व मजबूत है।
- एकता से ही आतंकवाद का समापन संभव है।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले को ‘इंसानियत पर चोट’ बताते हुए महाराष्ट्र भाजपा के नेता संजय उपाध्याय ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को मजबूती से प्रस्तुत किया है।
सोमवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद पर अपना रुख स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने रखा है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि आतंकवाद कोई छद्म युद्ध नहीं है, बल्कि इसे सीधा युद्ध माना जाना चाहिए। आतंकवाद को सुविधा के अनुसार संबोधित करना गलत है। पूरी दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना होगा, तभी इसे समाप्त किया जा सकेगा।
महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी विवाद पर भाजपा नेता ने कहा कि मुझे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों, कविताओं और शब्दों ने भारतीय जनता पार्टी की ओर आकर्षित किया। उनकी शैली ने मुझे बहुत प्रेरित किया। आलोचना करते समय भी वे ऐसी भाषा का उपयोग करते थे, जो तीखी, परंतु गरिमामय होती थी। मेरा मानना है कि शब्दों का उपयोग विभाजन या नफरत पैदा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भाषा को प्रेम और संवाद का माध्यम होना चाहिए। हमें महाराष्ट्र में रहते हुए मराठी भाषा, भूमि और इसके महान हस्तियों का सम्मान करना चाहिए, लेकिन किसी को अपमानित नहीं किया जाना चाहिए।
मंत्री आशीष शेलार द्वारा मराठी भाषा के नाम पर गुंडागर्दी की तुलना पहलगाम आतंकी हमले से करने पर भाजपा नेता ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव हारने के बाद विपक्षी दल हताश हैं और हिन्दुओं के मत को विभाजित करने के लिए जाति और भाषा के नाम पर लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हम इसका विरोध करेंगे। आशीष शेलार ने महाराष्ट्र के विचार को प्रमुखता से रखा है। मुझे लगता है कि यह स्वयं स्पष्ट है और इसमें किसी बात का कोई विषय नहीं बचता है।
ठाकरे बंधुओं के साथ आने पर संजय उपाध्याय ने कहा कि यह लगभग असंभव था। यह भाजपा के संस्कार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की वजह से संभव हुआ। भगवान कृष्ण भी कौरव और पांडव को एक नहीं कर पाए। कलयुग में मुख्यमंत्री फडणवीस की वजह से दोनों भाई मिले हैं, तो मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में उनसे बेहतर नेतृत्व वाला व्यक्ति नहीं है। महाराष्ट्र की जनता देवेंद्र फडणवीस के साथ रहेगी। दोनों भाई के साथ आने से कोई नुकसान नहीं होगा।