क्या मोहन भागवत 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के प्रबल समर्थक रहे हैं?: पीएम मोदी

Click to start listening
क्या मोहन भागवत 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के प्रबल समर्थक रहे हैं?: पीएम मोदी

सारांश

पीएम मोदी ने मोहन भागवत के ७५वें जन्मदिन पर उनके जीवन और कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि मोहन भागवत ने समाज को संगठित करने और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना जीवन समर्पित किया है।

Key Takeaways

  • मोहन भागवत ने ७५ वर्षों में समाज को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • उन्होंने बंधुत्व और समता की भावना को सशक्त किया है।
  • पीएम मोदी ने उनके कार्यों की प्रशंसा की।
  • उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है।
  • युवाओं को संघ कार्य के लिए प्रेरित करने में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, ११ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के ७५वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में एक विशेष पोस्ट साझा किया।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'मोहन भागवत ने वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत से प्रेरित होकर समता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना जीवन समर्पित किया है। मां भारती की सेवा में सदा तत्पर मोहन भागवत के ७५वें जन्मदिन पर मैंने उनके प्रेरक व्यक्तित्व पर अपने विचार साझा किए हैं। मैं उनके दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना करता हूं।'

इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक ब्लॉग का लिंक भी साझा किया, जिसमें उन्होंने मोहन भागवत के बारे में कई महत्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख किया।

उन्होंने लिखा, 'आज ११ सितंबर है। यह दिन कई स्मृतियों से जुड़ा है। एक स्मृति १८९३ की है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्वबंधुत्व का संदेश दिया और दूसरी स्मृति ९/११ का आतंकी हमला है। आज के दिन की एक और ख़ास बात है। आज एक ऐसे व्यक्तित्व का ७५वां जन्मदिवस है, जिन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत पर चलते हुए समाज को संगठित करने और समता-समरसता की भावना को सशक्त करने में अपना जीवन बिताया है। संघ परिवार में जिनका सम्मान सरसंघचालक के रूप में किया जाता है, ऐसे मोहन भागवत का आज जन्मदिन है।'

उन्होंने यह भी कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि इस वर्ष संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। मैं मोहन भागवत को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उन्हें दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।

पीएम मोदी ने लिखा, 'मेरा मोहन भागवत जी के परिवार से गहरा संबंध रहा है। मुझे उनके पिता, स्वर्गीय मधुकरराव भागवत के साथ निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला। मैंने अपनी पुस्तक 'ज्योतिपुंज' में मधुकरराव के बारे में विस्तार से लिखा है। वकालत के साथ-साथ मधुकरराव जीवनभर राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित रहे। अपनी युवावस्था में उन्होंने लंबा समय गुजरात में बिताया और संघ कार्य की मजबूत नींव रखी। मध्यकाल में मोहन भागवत को भी इस महान कार्य के लिए निरंतर तैयार किया।'

उन्होंने आगे लिखा, 'मोहन भागवत का पूरा जीवन सतत प्रेरणा देने वाला रहा है। उन्होंने १९७० के दशक के मध्य में प्रचारक का कार्यभार संभाला। प्रचारक परंपरा संघ कार्य की विशेषता है। गत १०० वर्षों में देशभक्ति से भरे हजारों युवक-युवतियों ने अपना घर-परिवार त्याग कर संघ परिवार के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया है। मोहन भागवत भी उस महान परंपरा की धुरी हैं।'

पीएम मोदी ने लिखा, 'जब कांग्रेस सरकार ने इमरजेंसी थोप दी थी, तब मोहन भागवत ने प्रचारक के रूप में आपातकाल-विरोधी आंदोलन को मजबूती प्रदान की। उन्होंने कई वर्षों तक महाराष्ट्र के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में काम किया। १९९० के दशक में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख के रूप में मोहन भागवत के कार्यों को आज भी कई स्वयंसेवक याद करते हैं। २००० में वे सरकार्यवाह बने और २००९ में सरसंघचालक बने। उन्होंने राष्ट्र प्रथम की मूल विचारधारा को हमेशा सर्वोपरि रखा।'

उन्होंने कहा, 'सरसंघचालक का पद केवल एक संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं है, यह एक पवित्र विश्वास है। असाधारण व्यक्तियों ने इस भूमिका को व्यक्तिगत त्याग और मां भारती के प्रति अटूट समर्पण के साथ निभाया है। मोहन भागवत ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।'

युवाओं से मोहन भागवत के लगाव को रेखांकित करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, 'उनका युवाओं से सहज जुड़ाव है। उन्होंने अधिक से अधिक युवाओं को संघ कार्य के लिए प्रेरित किया है। उनका संवाद और संपर्क लोगों से बना रहता है। अगर हम व्यापक संदर्भ में देखें तो मोहन भागवत का कार्यकाल संघ में परिवर्तन का कालखंड माना जाएगा।'

उन्होंने कहा, 'कोरोना काल में मोहन भागवत के प्रयास विशेष रूप से याद आते हैं। उस कठिन समय में उन्होंने स्वयंसेवकों को समाजसेवा की दिशा दी। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यवस्थाओं को विकसित किया।'

पीएम मोदी ने कहा कि इस वर्ष की शुरुआत में, मैंने नागपुर में उनके साथ माधव नेत्र चिकित्सालय के उद्घाटन के दौरान कहा था कि संघ अक्षयवट की तरह है। मोहन भागवत जी का समाज कल्याण के लिए संघ की शक्ति के निरंतर उपयोग पर विशेष बल रहा है।

उन्होंने कहा, 'मोहन भागवत की मृदुभाषा और सुनने की अद्भुत क्षमता उनके व्यक्तित्व में संवेदनशीलता लाती है। वे हमेशा 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के प्रबल पक्षधर रहे हैं। वे भारतीय वाद्ययंत्रों में भी निपुण हैं।'

उन्होंने कहा, 'पिछले दिनों देश में जितने सफल जन-आंदोलन हुए, मोहन भागवत ने पूरे संघ परिवार को इन आंदोलनों में ऊर्जा भरने के लिए प्रेरित किया। यह भी सुखद संयोग है कि विजयादशमी का पर्व, गांधी जयंती, लाल बहादुर शास्त्री की जयंती और संघ का शताब्दी वर्ष एक ही दिन आ रहे हैं।'

इस वर्ष लाखों स्वयंसेवकों के लिए यह ऐतिहासिक अवसर है। मोहन भागवत जी जैसे दूरदर्शी और परिश्रमी सरसंघचालक का नेतृत्व हमें प्रेरित करता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि मोहन भागवत का योगदान भारतीय समाज और उसकी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है। उनका दृष्टिकोण और कार्यशैली आज के वक्त की जरूरतों के अनुसार अद्वितीय है।
NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

मोहन भागवत कौन हैं?
मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक हैं और उन्होंने समाज के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
पीएम मोदी ने उनके बारे में क्या कहा?
पीएम मोदी ने मोहन भागवत के ७५वें जन्मदिन पर उनके योगदान और जीवन के बारे में अपनी भावनाएं साझा कीं।
मोहन भागवत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उनका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित करना और बंधुत्व की भावना को सशक्त करना है।
मोहन भागवत ने कब सरसंघचालक का पद संभाला?
उन्होंने २००९ में सरसंघचालक का पद संभाला।
मोहन भागवत का युवाओं से क्या जुड़ाव है?
मोहन भागवत का युवाओं से सहज जुड़ाव है और उन्होंने उन्हें संघ कार्य के लिए प्रेरित किया है।