क्या प्रधानमंत्री मोदी ने तीजनबाई के परिजनों से फोन पर बात की?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी ने तीजनबाई के परिजनों से फोन पर बात की।
- उन्होंने तीजनबाई की सेहत के बारे में जानकारी ली।
- तीजनबाई को कई महत्वपूर्ण पुरस्कार मिल चुके हैं।
- प्रधानमंत्री ने परिवार को सहायता का आश्वासन दिया।
- तीजनबाई ने पंडवानी लोककला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
दुर्ग, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव समारोह में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नवा रायपुर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध पंडवानी गायिका और पद्मविभूषण से सम्मानित तीजनबाई के परिवार के सदस्यों से फोन पर संपर्क कर उनका हालचाल लिया।
तीजनबाई की बहू वेणु देशमुख ने मीडिया को बताया कि उनके पास प्रधानमंत्री मोदी के सचिव का फोन आया था। उन्होंने कहा कि 'आपसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बात करना चाहते हैं।' उनकी आवाज सुनकर मैं आश्चर्यचकित रह गई। जब मैंने प्रधानमंत्री को नमस्ते किया, तो उन्होंने कहा कि 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोल रहा हूँ।'
उन्होंने बताया कि हमारी बातचीत लगभग 1 मिनट 18 सेकंड तक चली। इस बातचीत में प्रधानमंत्री ने तीजनबाई की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी ली और उनके जल्द ठीक होने की कामना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि आपको हमारी किसी सहायता की आवश्यकता हो, तो हमें बताएं। हम आपके साथ हैं।
वेणु देशमुख ने बताया कि मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि तीजनबाई की तबियत काफी खराब है। उन्हें खाने में कठिनाई हो रही है, इसलिए हम उन्हें सूप देते हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर उनके लिए कुछ कर सकता हूँ तो बताना। उन्होंने कहा कि वे नवा रायपुर में स्थापना दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। उन्होंने कहा, 'मैं आपसे मिलना चाहता था, लेकिन कुछ कारणों से नहीं आ सका, इसलिए फोन पर हालचाल पूछ रहा हूँ।'
वेणु देशमुख ने बताया कि जब मैं प्रधानमंत्री मोदी से बात कर रही थी, तो मैं बहुत भावुक हो गई थी और कुछ नहीं कह पाई। लेकिन अब मैं उनसे अनुरोध करती हूँ कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है, इसलिए सरकार से निवेदन है कि घर के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, ताकि हमारा जीवन यापन सुगम हो सके।
यह उल्लेखनीय है कि कला के क्षेत्र में तीजनबाई ने पंडवानी लोककला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। 1980 में, उन्होंने सांस्कृतिक राजदूत के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, टर्की, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया और मॉरीशस की यात्रा की और 1988 में उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला। इसके अलावा, 1995 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया और 2019 में उन्हें पद्म विभूषण सहित कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया।