क्या पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात भारत का 'संतुलनकारी' दांव है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत-रूस ऊर्जा साझेदारी महत्वपूर्ण है।
- पीएम मोदी और पुतिन के बीच का व्यक्तिगत संबंध मजबूत है।
- भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ावा मिला है।
- अमेरिका का दबाव भारत के लिए चुनौती है।
- भविष्य के लिए साझेदारी का विकास आवश्यक है।
वॉशिंगटन, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया मुलाकात पर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। विशेषकर अमेरिकी मीडिया में दोनों नेताओं का जिक्र हो रहा है। इस संदर्भ में, अमेरिकी मीडिया ने इस मुलाकात को भारत की रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
अमेरिकी मीडिया का कहना है कि अमेरिका द्वारा बनाए गए भौगोलिक दबाव ने रूस के राष्ट्रपति के भारत दौरे को महत्वपूर्ण बना दिया। 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के अनुसार, यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब अमेरिका ने रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया था, जिससे भारत को कम कीमत पर कच्चा तेल खरीदने का अवसर मिला।
भारत-रूस की ऊर्जा साझेदारी, जो 2022 से द्विपक्षीय संबंधों का मुख्य आधार मानी जा रही है, वर्तमान में दबाव में है। अमेरिका ने रोसनेफ्ट और लुकोइल से जुड़े व्यापारियों पर कार्रवाई की, जिसके कारण भारतीय रिफाइनर्स को अपनी कच्चे तेल की खरीद रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा।
अमेरिकी मीडिया ने कहा कि इस दबाव के बावजूद, दोनों नेताओं ने कच्चे तेल की निरंतर खरीद-बिक्री का संकेत दिया। रूसी राष्ट्रपति ने भारत दौरे के दौरान कहा था कि भारत के लिए रूस से कच्चे तेल की शिपमेंट बिना रुकावट जारी रहेगी। पुतिन ने पीएम मोदी के ऊर्जा सुरक्षा को रिश्ते का "मजबूत और आवश्यक स्तंभ" बताया।
इसके अलावा, वॉशिंगटन पोस्ट ने इस समिट को भारत की विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण पल बताया। इसके अनुसार, यह समिट रूस के साथ पुराने रिश्ते बनाए रखने की भारत की कोशिशों का एक परीक्षण था, खासकर तब जब अमेरिका यूक्रेन में शांति समझौते के लिए जोर दे रहा है।
वॉशिंगटन पोस्ट ने यह भी उल्लेख किया कि अमेरिका लगातार भारत पर रूस से तेल आयात कम करने का दबाव बना रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस वर्ष की शुरुआत में भारतीय सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था।
विश्लेषकों ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति की यह यात्रा यह दर्शाती है कि भारत पश्चिमी देशों और अन्य वैश्विक खिलाड़ियों के बीच एक रणनीतिक संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। भारत अब अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ महत्वपूर्ण व्यापारिक बातचीत को ध्यान में रखते हुए अपनी रूस साझेदारी को संतुलित करने का प्रयास कर रहा है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत तालमेल पर जोर दिया और कहा कि पीएम मोदी ने पुतिन के साथ अपने गहरे रिश्ते की प्रशंसा की और भारत-रूस संबंधों की तुलना "उत्तर तारा" से की।
टाइम्स ने कहा कि यह समिट भारत के "रणनीतिक स्वायत्तता" के दावे को प्रदर्शित करती है, जबकि टैरिफ और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण वाशिंगटन के साथ भारत के रिश्ते बिगड़ रहे हैं, जिससे भारत का रूस से कच्चा तेल लेना तेजी से कम हो रहा है।
रूस तेजी से भारत को चीन पर अपनी "बहुत ज्यादा निर्भरता" के खिलाफ एक बचाव के रूप में देख रहा है। अमेरिकी मीडिया का मानना है कि भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित रखने, वाशिंगटन और यूरोप के दबाव को एक साथ प्रबंधित करने, और वैश्विक अनिश्चितता के बीच रूस के साथ संबंध बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।
अमेरिकी रिपोर्ट्स ने बताया कि भारत के लिए आगे का काम रूस के साथ एक ऐतिहासिक साझेदारी बनाए रखना है, साथ ही अमेरिका के साथ गहरे आर्थिक और रणनीतिक सहयोग के दरवाजे खुले रखना है।