क्या पीएम मोदी ने खुदीराम बोस को याद किया और उनके बलिदान पर क्या कहा?

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क्या पीएम मोदी ने खुदीराम बोस को याद किया और उनके बलिदान पर क्या कहा?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में खुदीराम बोस के बलिदान का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे 18 वर्षीय खुदीराम ने मुस्कुराते हुए फांसी के फंदे को स्वीकार किया। यह घटना हमें आज की क्रांति के महत्व को भी याद दिलाती है।

Key Takeaways

  • खुदीराम बोस का बलिदान देशभक्ति का प्रतीक है।
  • अगस्त का महीना ऐतिहासिक घटनाओं से भरा है।
  • स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना आवश्यक है।
  • खुदीराम ने केवल 18 साल की उम्र में साहस दिखाया।
  • हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों की याद रखनी चाहिए।

नई दिल्ली, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 124वें एपिसोड में स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस के बलिदान को स्मरण किया। उन्होंने 11 अगस्त 1908 को बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई उस ऐतिहासिक घटना का उल्लेख किया, जब 18 वर्षीय खुदीराम बोस ने देशभक्ति के लिए फांसी के फंदे को मुस्कान के साथ स्वीकार किया। पीएम ने कहा कि अगस्त का महीना क्रांति का महीना भी है।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "आप कल्पना कीजिए, बिल्कुल भोर का समय, बिहार का मुजफ्फरपुर शहर, तारीख 11 अगस्त 1908। हर गली, हर चौराहा, हर हलचल उस समय जैसे थमी हुई थी। लोगों की आंखों में आंसू थे, लेकिन दिलों में ज्वाला थी। लोगों ने जेल को घेर रखा था, जहां एक 18 साल का युवक अंग्रेजों के खिलाफ अपना देश-प्रेम व्यक्त करने की कीमत चुका रहा था।"

उन्होंने आगे कहा, "जेल के अंदर, अंग्रेज अफसर एक युवा को फांसी देने की तैयारी कर रहे थे। उस युवा के चेहरे पर भय नहीं था, बल्कि गर्व से भरा हुआ था। वो गर्व, जो देश के लिए मर-मिटने वालों को होता है। वो वीर, वो साहसी युवा थे, खुदीराम बोस। केवल 18 साल की उम्र में उन्होंने वो साहस दिखाया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया।"

अपने भाषण में उन्होंने आगे कहा, "तब अखबारों ने भी लिखा था, 'खुदीराम बोस जब फांसी के फंदे की ओर बढ़े, तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी।' ऐसे ही अनगिनत बलिदानों के बाद, सदियों की तपस्या के बाद, हमें आजादी मिली थी। देश के दीवानों ने अपने रक्त से आजादी के आंदोलन को सींचा था।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त को क्रांति का महीना बताते हुए कहा, "1 अगस्त को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। 8 अगस्त को महात्मा गांधी के नेतृत्व में 'भारत छोड़ो आंदोलन' शुरू हुआ, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी। फिर 15 अगस्त, हमारा स्वतंत्रता दिवस, जब हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं।"

Point of View

जो हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना और अपने देश के प्रति प्रेम रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि हम अपनी आजादी को कभी नहीं भूलें।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

खुदीराम बोस का बलिदान कब हुआ?
खुदीराम बोस का बलिदान 11 अगस्त 1908 को हुआ था।
पीएम मोदी ने खुदीराम बोस को क्यों याद किया?
पीएम मोदी ने खुदीराम बोस के बलिदान को याद करते हुए बताया कि उन्होंने मुस्कुराते हुए फांसी के फंदे को स्वीकार किया।
अगस्त का महीना क्यों महत्वपूर्ण है?
अगस्त का महीना क्रांति का महीना है, जिसमें कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं जैसे कि स्वतंत्रता संग्राम और 'भारत छोड़ो आंदोलन'।