क्या पुलिस को हिंसा की जानकारी है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही? : सपा नेता उदयवीर सिंह

सारांश
Key Takeaways
- जातिगत हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
- पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
- उदयवीर सिंह ने बीजेपी पर राजनीतिक लाभ के लिए समाज को बांटने का आरोप लगाया।
- समाजवादी पार्टी का इन घटनाओं में कोई हाथ नहीं है।
- बीजेपी और आरएसएस पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाया गया है।
लखनऊ, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता उदयवीर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर उत्तर प्रदेश में जातिगत हिंसा को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में पुलिस को सब कुछ पता होने के बावजूद जातिगत हिंसा और सामाजिक संघर्ष को रोकने में विफलता का सामना करना पड़ रहा है।
उदयवीर सिंह ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इसे बीजेपी की एक सुनियोजित रणनीति करार दिया, जिसका मकसद समाज को जाति के आधार पर बांटकर राजनीतिक लाभ उठाना और चुनाव जीतना है। उन्होंने इटावा में कथावाचक के साथ हुई अमानवीय घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यदि यह समाजवादी पार्टी की कोशिश होती तो आगरा में पहले हुई हिंसा के पीछे कौन था?
सपा नेता ने दावा किया कि बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में पुलिस को पहले से ही संभावित हिंसा की जानकारी होती है, फिर भी कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने कहा, "लोग उग्र होकर पुलिस पर हमला करते हैं और फिर आसानी से भाग निकलते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस कार्रवाई करने में नाकाम क्यों रहती है? यह सब बीजेपी का एक मॉडल है, जिसके तहत समाज को बांटकर राजनीति की जाती है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार में पड़ोसी राज्यों से लोग आकर हिंसा का नेतृत्व करते हैं और फिर बिना किसी कार्रवाई के चले जाते हैं।
उदयवीर सिंह ने आगरा की एक घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां छत्री समाज के लोग तो पीड़ित हुए। लेकिन, पड़ोसी राज्यों से आए लोग, जो हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों सरकार और प्रशासन इस तरह की घटनाओं पर नकेल कसने में नाकाम रहती है। सपा नेता ने बीजेपी पर बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सामाजिक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए जानबूझकर ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "बीजेपी मूल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए समाज में तनाव पैदा करती है। यह उनकी रणनीति का हिस्सा है।" उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का इन घटनाओं में कोई हाथ नहीं है और न ही उनका स्थानीय नेतृत्व इसमें शामिल है।
सपा नेता ने कहा कि अगर कोई सपा कार्यकर्ता ऐसी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो पार्टी उसका संज्ञान लेगी। उन्होंने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर संविधान के प्रति असम्मान का भी आरोप लगाया।
उदयवीर ने कहा, "बीजेपी और आरएसएस संविधान में विश्वास नहीं करते। वे गरीब, वंचित और पीड़ित वर्गों को दिए गए अधिकारों का विरोध करते हैं। पहले भी ये लोग संविधान बदलने की बात करते थे और आज भी उनकी यही मंशा है।"
उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की नीतियां सामाजिक समानता के खिलाफ हैं और वे पुरानी शोषणकारी व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं। उदयवीर ने सामाजिक बुराइयों का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के बाद भी कुछ लोग सामाजिक समानता को स्वीकार नहीं करते।
उन्होंने सवाल उठाया, "क्या आज के भारत में किसी के बाल काटने, मारपीट करने या अपमान करने का हक है? बीजेपी ऐसी मानसिकता को बढ़ावा देती है, जो इंसान को इंसान के बराबर नहीं मानती।" उन्होंने मांग की कि सरकार को इन मुद्दों पर जवाब देना चाहिए और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए उदयवीर सिंह ने कहा कि अगर व्यवस्था पंगु हो गई है, तो इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या उनके सहयोगी जिम्मेदार हैं। उन्होंने गृह मंत्रालय और तमिलनाडु के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी ने पहले भी संविधान को स्वीकार करने से इनकार किया था और अब भी वह संविधान बदलने की बात करती है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि समाजवादी पार्टी सामाजिक समानता और संविधान के मूल्यों में विश्वास रखती है, जबकि बीजेपी का एजेंडा समाज को बांटने और शोषणकारी व्यवस्था को बनाए रखने का है।