क्या प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने हजारीबाग के अजीत कुमार दास की जिंदगी को बदल दिया?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाया।
- अजीत कुमार दास की कहानी प्रेरणादायक है।
- आत्मविश्वास और मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
हजारीबाग, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ ने झारखंड के हजारीबाग जिले के एक साधारण मोची अजीत कुमार दास की जिंदगी को नई दिशा दी है।
जूते की दुकान चलाने वाले अजीत आज अपने हुनर और मेहनत के लिए पूरे जिले में प्रसिद्ध हैं। इस योजना ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि आत्मविश्वास को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
कुछ साल पहले तक अजीत एक छोटी सी किराए की गुमटी में बैठकर जूते सिलने और बनाने का काम करते थे। उनकी आय इतनी सीमित थी कि परिवार की बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल था।
साल 2017 में अजीत ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बैंक से 50,000 रुपए का ऋण लिया। इस ऋण ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। इस राशि से उन्होंने अपनी खुद की दुकान शुरू की और अपने जूते बनाने के व्यवसाय को बड़े स्तर पर ले गए। उनकी मेहनत और कारीगरी ने धीरे-धीरे उन्हें हजारीबाग में एक जाना-माना नाम बना दिया।
उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज वह अपने परिवार को बेहतर जिंदगी दे पा रहे हैं। अजीत की सफलता की कहानी इतनी प्रेरणादायक थी कि उन्हें साल 2018 में नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिलने का अवसर मिला था।
इस मुलाकात ने उनके हौसले को और बढ़ाया। बाद में उन्होंने अपने व्यवसाय को और विस्तार देने के लिए 3.50 लाख रुपए का एक और ऋण लिया था।
अजीत कुमार ने कहा, "मुद्रा योजना ने मुझे न सिर्फ आर्थिक सहारा दिया, बल्कि मेरे आत्मविश्वास को भी बढ़ाया। पहले मैं किराए की गुमटी में काम करता था, लेकिन अब मेरी अपनी दुकान है। इस दुकान की कमाई से मैंने न केवल अपना घर बनाया, बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई भी स्नातक स्तर तक पूरी करवाई। हमारे बच्चे सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। यह योजना जीविका का आधार है। पीएम मोदी की योजना हमारे लिए वरदान साबित हुई है। मैं उन्हें दिल से धन्यवाद देता हूं।"
अजीत कुमार दास ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री मुद्रा योजना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सहारा बनी। अगर यह योजना नहीं होती, तो शायद मैं आज भी उसी गुमटी में बैठा होता। आज मैं न केवल अपने पैरों पर खड़ा हूं, बल्कि अपने परिवार को एक सम्मानजनक और बेहतर जिंदगी दे पा रहा हूं।”