क्या प्रशांत किशोर पर भाजपा का निशाना सही है? दिलीप जायसवाल का कहना है 'नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले खुद कानून के कठघरे में'

सारांश
Key Takeaways
- प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप लगे हैं।
- भाजपा ने दिलीप जायसवाल के नेतृत्व में पलटवार किया है।
- नैतिकता के दावे पर सवाल उठाए गए हैं।
- जन सुराज विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने की तैयारी कर रहा है।
- बिहार में राजनीतिक माहौल गर्म है।
पटना, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल सहित कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस पर भाजपा ने गुरुवार को प्रशांत किशोर पर जबरदस्त पलटवार करते हुए उन्हें आईना दिखाया है।
भाजपा के मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल ने कहा कि नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले खुद कानून के कटघरे में हैं। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर का असली चेहरा अब पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है। जो लोग दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं, उन पर कई गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज है। यह मामूली आरोप नहीं हैं; इसमें जालसाजी, धोखाधड़ी, और सुनियोजित साजिश शामिल है।
दानिश इकबाल ने कहा कि पटना के पाटलिपुत्र थाना के केस नंबर 94/2020 में उनकी भूमिका किसी पेशेवर अपराधी जैसी दिख रही है। उन्होंने कहा कि 'बिहार की बात' के नाम पर जनता को गुमराह करने वाले प्रशांत किशोर खुद कानून के कठघरे में हैं। उन्होंने नसीहत दी कि "नैतिकता की ठेकेदारी छोड़िए, बिहार की जनता अब इन नकाबपोश नेताओं को पहचान चुकी है। ये नेता नहीं, 'राजनीति के चोर' हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि प्रशांत किशोर असल में राजनीति को व्यापार समझते हैं, जबकि राजनीति का मुख्य उद्देश्य सेवा करना है। बिहार के लोग ऐसे व्यक्तियों द्वारा कई बार ठगे गए हैं। बिहार आज विकास की ओर बढ़ रहा है और यहाँ की जनता अब कोई गलती नहीं करना चाहती।
वास्तव में, प्रशांत किशोर इस समय बिहार बदलाव यात्रा में विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वे भाजपा और राजद सहित कई दलों के नेताओं पर सीधे हमला कर रहे हैं और कई वादे भी कर रहे हैं। जन सुराज ने पहले ही इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने की घोषणा की है।