क्या प्रशांत किशोर ने भाजपा-जदयू को भ्रमित करने का प्रयास किया?

सारांश
Key Takeaways
- प्रशांत किशोर ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- भाजपा ने इन आरोपों का जोरदार पलटवार किया है।
- राजनीतिक आरोपों के पीछे सत्यता की आवश्यकता होती है।
- कोर्ट में जाकर आरोपों को प्रमाणित करने की सलाह दी गई है।
- इस विवाद में साक्ष्य का होना महत्वपूर्ण है।
पटना, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर किशनगंज के एक अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज पर कब्जा जमाने का आरोप लगाया था। इस पर भाजपा और जदयू ने जोरदार पलटवार किया है।
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि प्रशांत किशोर केवल सनसनी पैदा करने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इन आरोपों पर बिंदुवार स्पष्टीकरण दे दिया है। भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने वहां की वास्तविकता से अवगत करा दिया है। प्रशांत किशोर केवल शोर मचाने वाले हैं और आरोप लगाने में माहिर हैं। लेकिन, आज दिलीप जायसवाल द्वारा दी गई सफाई ने उनके आरोपों की हवा निकाल दी है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश ने प्रशांत किशोर के आरोपों पर कहा कि यह एक राजनीतिक स्टंट है। जिस प्रकार उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाए हैं, वह उचित नहीं है। यदि आपके पास आरोपों का साक्ष्य है, तो आपको कोर्ट में जाना चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि अनावश्यक राजनीति करके लोगों को भ्रमित करना ठीक नहीं है। हमारे देश में संविधान और कानून की व्यवस्था है। कोर्ट में जाकर अपने आरोपों को साबित करना अधिक उचित रहेगा। किसी भी व्यक्ति की राजनीतिक शुचिता पर सवाल उठाना अनुचित है।
उन्होंने कहा कि कौन भ्रष्ट है और कौन ईमानदार है, इसे प्रशांत किशोर तय नहीं कर सकते। खुद को कोर्ट और संविधान से ऊपर समझना सही नहीं है। न्यायपालिका और संविधान में सभी को आस्था रखनी चाहिए।