क्या पब्लिक सेक्टर बैंक का एनपीए घटकर 2.58 प्रतिशत हुआ है? : पंकज चौधरी

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क्या पब्लिक सेक्टर बैंक का एनपीए घटकर 2.58 प्रतिशत हुआ है? : पंकज चौधरी

सारांश

पब्लिक सेक्टर बैंकों के एनपीए में जबरदस्त कमी आई है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि यह 9.11 प्रतिशत से घटकर 2.58 प्रतिशत हो गया है। जानें इसके पीछे के कारण और उपाय।

Key Takeaways

  • पब्लिक सेक्टर बैंकों का एनपीए 2.58% तक गिरा।
  • मार्च 2021 में एनपीए 9.11% था।
  • सरकार और आरबीआई ने कई कदम उठाए हैं।
  • आईबीसी ने ऋणदाता-उधारकर्ता संबंधों में सुधार किया है।
  • डीआरटी का क्षेत्राधिकार बढ़ाया गया है।

नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को संसद में जानकारी दी कि पब्लिक सेक्टर बैंकों के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) में लगातार कमी आ रही है। मार्च 2021 में यह 9.11 प्रतिशत था, जो अब मार्च 2025 तक 2.58 प्रतिशत तक पहुँच गया है।

राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने बताया कि पब्लिक सेक्टर बैंकों के ग्रॉस एनपीए में फंसी कुल राशि मार्च 2021 में 6,16,616 करोड़ रुपए से घटकर मार्च 2025 में 2,83,650 करोड़ रुपए तक पहुँच गई है।

सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एनपीए की वसूली और इसे कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं।

इन उपायों में क्रेडिट कल्चर में बदलाव शामिल है, जो प्रभावी साबित हुआ है। दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने ऋणदाता-उधारकर्ता संबंधों को मौलिक रूप से बदल दिया है और जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों को समाधान प्रक्रिया से बाहर कर दिया है।

राज्य मंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया को और अधिक सख्त बनाने के लिए, कॉर्पोरेट देनदारों के व्यक्तिगत गारंटरों को भी आईबीसी के दायरे में लाया गया है।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) का वित्तीय क्षेत्राधिकार 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया है, जिससे डीआरटी उच्च मूल्य वाले मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सके।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एनपीए खातों की प्रभावी निगरानी और केंद्रित अनुवर्ती कार्रवाई के लिए विशेष तनावग्रस्त परिसंपत्ति प्रबंधन खंड और शाखाएं स्थापित की हैं, जिससे त्वरित और बेहतर समाधान/वसूली संभव हो पाई है।

राज्य मंत्री ने कहा कि व्यावसायिक प्रतिनिधियों की तैनाती और 'फुट-ऑन-स्ट्रीट' मॉडल को अपनाने से बैंकों में एनपीए की वसूली में भी तेजी आई है।

उन्होंने यह भी बताया कि आरबीआई ने तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा जारी किया था, जिससे तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की शीघ्र पहचान, रिपोर्टिंग और समयबद्ध समाधान किया जा सके, जिससे बैड लोन की वसूली में मदद मिली है।

Point of View

बल्कि यह भी बताता है कि सरकार और आरबीआई ने किस तरह से एनपीए की समस्या को सुलझाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। यह सकारात्मक संकेत है कि देश की बैंकिंग प्रणाली मजबूत हो रही है।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

एनपीए क्या है?
एनपीए का मतलब नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स है, जो उन लोन को दर्शाता है जो समय पर चुकाए नहीं जा रहे हैं।
पब्लिक सेक्टर बैंकों का एनपीए क्यों घटा?
सरकार और आरबीआई के द्वारा उठाए गए कदमों और सुधारों के कारण एनपीए में कमी आई है।
आईबीसी का क्या महत्व है?
आईबीसी ने दिवालिया कंपनियों के समाधान की प्रक्रिया को सरल बनाया है, जिससे एनपीए की समस्या कम हुई है।