क्या आपको पता है, अभिनेता पुनीत राजकुमार की चौथी पुण्यतिथि पर कर्नाटक में रक्तदान शिविर हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- पुनीत राजकुमार की चौथी पुण्यतिथि पर हजारों फैंस इकट्ठा हुए।
- रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।
- पुनीत के परिवार ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
- उनकी समाधि को खूबसूरती से सजाया गया था।
- फैंस ने नेत्रदान का संकल्प लिया।
बेंगलुरू, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कन्नड़ के सुपरस्टार पुनीत राजकुमार की चौथी पुण्यतिथि पर बुधवार को बेंगलुरु के कांतीरवा स्टूडियो परिसर में उनकी समाधि पर हजारों प्रशंसक श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
प्रशंसकों ने लोगों को खाना खिलाया और अपने प्रिय अभिनेता की याद में रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया। इसके साथ ही, कई प्रशंसकों ने नेत्रदान का संकल्प भी लिया।
अभिनेता पुनीत राजकुमार की पत्नी अश्विनी पुनीत राजकुमार, उनके बड़े भाई, अभिनेता राघवेंद्र राजकुमार, अभिनेता युवा राजकुमार और परिवार के अन्य सदस्य भी समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे।
एक सूत्र ने बताया कि पुनीत के बड़े भाई और कन्नड़ के सुपरस्टार शिवराजकुमार भी अपने परिवार के साथ समाधि स्थल पर उपस्थित हो सकते हैं।
उनकी समाधि को फूलों और अन्य सजावटी वस्तुओं से भव्यता से सजाया गया था। मंगलवार आधी रात से ही राज्य भर से बड़ी संख्या में प्रशंसक यहाँ आने लगे थे। वे लंबी कतारों में खड़े होकर नम आँखों से अपने प्रिय सितारे को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे।
कई लोग उसी परिसर में बने पुनीत के पिता, कन्नड़ फिल्म के अभिनेता डॉ. राजकुमार की समाधि पर भी गए। प्रशंसक इस दौरान पुनीत राजकुमार के कुछ प्रसिद्ध गाने गाते हुए नजर आए।
पुनीत राजकुमार को लोग प्यार से ‘अप्पू’ कहते थे। वे कन्नड़ फिल्म उद्योग के सबसे प्रिय अभिनेताओं में से एक थे। 17 मार्च, 1975 को जन्मे, पुनीत महान अभिनेता डॉ. राजकुमार और पर्वतम्मा राजकुमार के सबसे छोटे बेटे थे। पुनीत ने बाल कलाकार के रूप में करियर की शुरुआत की और 'बेट्टाडा हूवु' में अपने अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
उन्होंने मुख्य अभिनेता के रूप में 'अप्पू' (2002) से शुरुआत की, जो एक बड़ी हिट रही। इसके बाद से लोग उन्हें प्यार से अप्पू कहकर बुलाने लगे। इसके बाद उन्होंने कई हिट कन्नड़ फिल्मों में काम किया। वे अपनी विनम्रता और परोपकार के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और नेत्रदान सहित विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में सक्रिय रूप से योगदान दिया।
इसके साथ ही, उन्होंने अपने प्रशंसकों को नेत्रदान का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया। पुनीत के प्रशंसक कर्नाटक ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में मौजूद हैं। 29 अक्टूबर, 2021 को उनका हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया था।