क्या पंजाब के श्रवण सिंह को मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार?
सारांश
Key Takeaways
- श्रवण सिंह ने सैनिकों की निस्वार्थ सेवा की।
- उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया।
- उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साहस का प्रदर्शन किया।
- श्रवण ने नागरिक-सैन्य सहयोग को बढ़ावा दिया।
- उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।
फिरोजपुर, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के फिरोजपुर जिले के सीमावर्ती गांव चक तरां वाली के 10 वर्षीय बालक श्रवण सिंह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025' से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति अवॉर्ड मिलने से श्रवण के घर में खुशी का माहौल है।
यह सम्मान उन्हें उनके असाधारण साहस, सूझबूझ और निस्वार्थ सेवा के लिए दिया गया है।
श्रवण सिंह को मई 2025 में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान उनकी वीरता और साहसिक कार्यों के लिए पहचाना गया था। भारत-पाकिस्तान सीमा पर जब स्थितियां अत्यधिक तनावपूर्ण थीं, तब श्रवण ने अपनी जान की परवाह किए बिना सैनिकों की मदद की। दुश्मन के ड्रोन हमलों और घुसपैठ की बढ़ती चुनौतियों के बावजूद, श्रवण ने प्रतिदिन सीमा चौकियों तक जाकर सैनिकों के लिए पानी, दूध, लस्सी, चाय और बर्फ जैसी आवश्यक सामग्री पहुंचाई, जिससे उनका मनोबल और साहस बढ़ा।
श्रवण के इस साहसिक कार्य ने न केवल सीमा पर तैनात सैनिकों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ाया, बल्कि उनके परिवार और पूरे इलाके में भी एक नई उम्मीद का संचार किया।
श्रवण ने अपने घर और संसाधनों को सैनिकों के आराम और सुविधा के लिए खोल दिया, जिससे नागरिक-सैन्य सहयोग की भावना और मजबूत हुई।
श्रवण सिंह की यह अद्वितीय सेवा और देशभक्ति को देखकर 'गोल्डन एरो डिवीजन' ने उनकी शिक्षा का प्रायोजन भी किया है। उनके द्वारा किए गए कार्यों ने स्थानीय समुदाय में एकजुटता की भावना पैदा की और वे आज देशभर के बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं।
श्रवण के परिवार और इलाके में इस उपलब्धि को लेकर खुशी का माहौल है। उनकी बहन, मां और दादा ने इस सम्मान पर अपनी खुशी व्यक्त की।
उन्होंने कहा, "श्रवण का यह पुरस्कार हमें गर्वित करता है। हमें उस पर बहुत गर्व है और यह हमारी पूरी पंचायत के लिए गर्व की बात है।"
श्रवण सिंह के साहस और समर्पण ने साबित कर दिया है कि उम्र भले ही छोटी हो, लेकिन देशसेवा और साहस की कोई सीमा नहीं होती।
श्रवण की मां ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि श्रवण ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तानी सेना से मुकाबला कर रहे भारतीय सैनिकों की निस्वार्थ सेवा की थी। इसी कारण उन्हें सम्मानित किया गया है। हम लोग बहुत खुश हैं। मेरा बेटा दिन में दो-तीन बार चाय, दही सहित कई खाने के सामान को लेकर सैनिकों के पास जाता था। वह बड़ा होकर सेना में जाना चाहता है।
श्रवण ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान मैंने सैनिकों की सहायता की थी, इसीलिए मुझे पुरस्कार मिला है। मैं लोगों से यही कहना चाहूंगा कि जैसे मैंने किया है, वैसे आप भी वीर सैनिकों की सहायता करें।