पंजाब में 'आप' सरकार पहला बिल धार्मिक बेअदबी का क्यों नहीं लाई?

सारांश
Key Takeaways
- धार्मिक बेअदबी पर कानून लाने में देरी की गई है।
- सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाए गए हैं।
- कानून व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है।
- सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए।
- स्थानीय भावनाओं से खेलना सरकार के लिए खतरनाक हो सकता है।
चंडीगढ़, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा प्रस्तुत धार्मिक बेअदबी बिल पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो पहला बिल धार्मिक बेअदबी का क्यों नहीं लाया गया?
अश्वनी शर्मा ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि यदि सरकार धार्मिक बेअदबी के खिलाफ कानून लाने की इच्छुक थी, तो इसे पहले क्यों नहीं लाया गया? उन्होंने पूछा कि तीन साल में जो बेअदबी हुई, उसके लिए सरकार क्या कदम उठाएगी? इस मुद्दे पर सरकार की प्रगति क्या है?
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समय में सवाल पूछना स्वाभाविक है। बिना चर्चा के बिल पेश करने से यह प्रतीत होता है कि पंजाब की सरकार जल्दबाजी में है।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि सरकार धार्मिक बेअदबी के खिलाफ कानून लाने का संकल्प कर रही है, लेकिन क्या इस पर देश के धर्मगुरुओं से चर्चा की गई है? बेअदबी की विभिन्न श्रेणियों का क्या होगा? मीडिया के अनुसार, सरकार पहले बिल लाकर चर्चा करेगी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय परिस्थितियों से बचने के लिए पंजाब के लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है। पंजाब के लोग दिल से सोचते हैं, लेकिन इस बार सरकार को बचना मुश्किल होगा। पंजाब सरकार कानून व्यवस्था को सही करने में असमर्थ है और यह बिल मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक प्रयास है।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा का हमेशा से यह स्टैंड रहा है कि सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए और किसी धर्म की बेअदबी नहीं होनी चाहिए।