क्या ओडिशा के पुरी को नगर निगम का दर्जा मिला?
सारांश
Key Takeaways
- पुरी को नगर निगम का दर्जा देने से स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बेहतर नागरिक सेवाएं उपलब्ध होंगी।
- नागरिक सुविधाओं में सुधार होगा और बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
भुवनेश्वर, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा सरकार ने बुधवार को पुरी नगर पालिका को आधिकारिक रूप से पुरी नगर निगम का दर्जा दे दिया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने बताया कि इस संबंध में आवास एवं शहरी विकास विभाग ने औपचारिक अधिसूचना जारी की है।
पुरी, जो समुद्र तट पर स्थित है और जहाँ विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर है, भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ देश और विदेश से हर दिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 3 जुलाई को पुरी को नगर निगम का दर्जा देने की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य निवासियों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बेहतर नागरिक सुविधाएं और मजबूत बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना है।
पुरी नगर पालिका को नगर निगम बनाने की मांग स्थानीय लोगों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी। अधिसूचना जारी होने के बाद, पुरी और आसपास के क्षेत्रों में खुशी और उत्साह का माहौल है।
सीएमओ के अनुसार, नगर निगम का दर्जा मिलने से बुनियादी ढांचे का बड़े पैमाने पर विकास होगा, नागरिक सेवाएं बेहतर होंगी और पुरी को एक विस्तारित महानगरीय क्षेत्र के रूप में विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
नए पुरी नगर निगम में शहर के साथ-साथ आसपास की ग्राम पंचायतों को भी शामिल किया जाएगा। राज्य सरकार ने पहले ही बताया है कि पुरी सदर और ब्रह्मगिरी प्रखंड की करीब 7-8 ग्राम पंचायतों को नगर निगम में जोड़ा जाएगा।
इसके अलावा, पुरी के साथ राज्य के चार अन्य कस्बों को भी अधिसूचित क्षेत्र परिषद (एनएसी) घोषित किया गया है। इनमें बलांगीर जिले का लोईसिंघा, जाजपुर जिले का चांदीखोल, मयूरभंज जिले का जशिपुर और बालासोर जिले का बस्ता शामिल हैं।
इसके अलावा, बरहामपुर नगर निगम के क्षेत्र का भी विस्तार किया गया है। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने 31 अगस्त को स्वायत शासन दिवस के अवसर पर की थी।