क्या पूर्णिया घटना पर तेजस्वी यादव का कहना है कि डीके टैक्स के कारण बिहार में अराजकता चरम पर है?

सारांश
Key Takeaways
- पूर्णिया की घटना से अंधविश्वास की गंभीरता उजागर होती है।
- बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है।
- तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दो लोगों को हिरासत में लिया है।
- समाज में अंधविश्वास खत्म करने की आवश्यकता है।
पटना, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में गोपाल खेमका हत्याकांड का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था। इसी बीच, पूर्णिया जिले में अंधविश्वास के कारण एक ही परिवार के 5 सदस्यों की हत्या कर दी गई। इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर सोमवार को तीखा हमला किया।
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि पूर्णिया में एक ही परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाकर मार दिया गया है। उन्होंने कहा कि डीके टैक्स के चलते बिहार में अराजकता अपने चरम पर है। डीजीपी और सीएस पूरी तरह बेबस हैं। कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।
पुरानी आपराधिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "इससे पहले सिवान में 3 लोगों की नरसंहार में मौत, बक्सर में नरसंहार में 3 की मौत और भोजपुर में नरसंहार में 3 की मौत हुई। अपराधी पूरी तरह से सतर्क हैं और मुख्यमंत्री पूरी तरह से अचेत हैं। भ्रष्ट भूंजा पार्टी मस्त है, जबकि पुलिस पूरी तरह से पस्त है। डीके की मौज है, क्योंकि डीके ही असली बॉस है।"
जानकारी के अनुसार, पूर्णिया जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के 5 लोगों को डायन के आरोप में पहले बुरी तरह से पीटा गया और फिर जिंदा जला दिया गया। पुलिस ने सभी शव बरामद कर लिए हैं। बताया जा रहा है कि टेटगामा गांव के रामदेव उरांव के बेटे की झाड़-फूंक के दौरान मौत हो गई थी और दूसरे बेटे की तबीयत बिगड़ रही थी। इसी के चलते गांव वालों ने मौत का जिम्मेदार उस परिवार को ठहराया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गांव के करीब 50 से 70 लोग रात को घर में घुसकर लाठी-डंडों से हमला करने लगे। आरोप है कि बाबूलाल उरांव, सीता देवी, मनजीत उरांव, रनिया देवी और तपतो मोसमत को पहले बुरी तरह से पीटा गया और फिर उन्हें जिंदा जला दिया गया। इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है।