क्या ईरान पर बिना उकसावे के हमले का कोई औचित्य है? : पुतिन

सारांश
Key Takeaways
- पुतिन ने ईरान पर बिना उकसावे के हमले को अनुचित बताया।
- रूस और ईरान के बीच पुराने और मजबूत रिश्ते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन गंभीर है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कार्रवाई की मांग की गई।
- ईरान के सर्वोच्च नेता ने इजरायल को चेतावनी दी।
मास्को, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि ईरान के खिलाफ की गई बिना उकसावे की सैन्य आक्रामकता का कोई आधार या औचित्य नहीं है। यह टिप्पणी उन्होंने रूस दौरे पर आए ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरागची के साथ एक बैठक के दौरान की।
पुतिन ने अरागची से कहा, “आपकी रूस यात्रा एक कठिन समय में हो रही है, जब आपके देश और पूरे क्षेत्र में गंभीर तनाव बना हुआ है। हमारी स्थिति स्पष्ट है, जिसे रूस के विदेश मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बार-बार दोहराया गया है।”
पुतिन ने कहा कि रूस और ईरान के बीच पुराने, मजबूत और भरोसेमंद रिश्ते हैं और रूस ईरानी जनता का समर्थन करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
ईरानी विदेश मंत्री अरागची ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध रणनीतिक प्रकृति के हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में और मजबूत हुए हैं, विशेष रूप से ईरान के नागरिक परमाणु कार्यक्रम से संबंधित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है।
रूस के विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि किसी भी तर्क के बावजूद एक संप्रभु देश की जमीन पर मिसाइल हमले और बमबारी करना अंतर्राष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का खुला उल्लंघन है।
मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस पर कार्रवाई की मांग की और कहा कि अमेरिका और इजरायल की आक्रामक कार्रवाइयों का सामूहिक रूप से विरोध किया जाना चाहिए। रूस ने हमलों को तुरंत रोकने और वार्ता बहाल करने का आह्वान किया।
इससे पहले सोमवार को, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अमेरिकी हमलों पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए इजरायल को चेतावनी दी कि "सजा जारी रहेगी।"
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इजरायली दुश्मन ने बहुत बड़ी गलती की है, बहुत बड़ा अपराध किया है। उसे सजा दी जा रही है और दी जाती रहेगी।”
बता दें कि 13 जून को इजरायल ने ईरान के कई परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसमें वरिष्ठ कमांडर, वैज्ञानिक और नागरिक मारे गए। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष जारी है। वहीं, अमेरिका ने 22 जून को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर ‘मिडनाइट हैमर ऑपरेशन’ के तहत मिसाइल और हवाई हमले किए। इसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए।