क्या पुतिन के स्वागत के लिए दिल्ली पूरी तरह तैयार है? भारत और रूस के बीच इन मुद्दों पर बातचीत संभव?
सारांश
Key Takeaways
- पुतिन का भारत दौरा सुरक्षा और व्यापार संबंधों को मजबूत करेगा।
- रक्षा सहयोग पर महत्वपूर्ण चर्चा होने की संभावना है।
- नई तकनीकों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ सकता है।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। रूसी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए भारत की राष्ट्रीय राजधानी पूरी तरह से तैयार है। भारत और रूस के बीच की मित्रता काफी पुरानी है। इस तरह, रूसी राष्ट्रपति के भारत दौरे पर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है।
रक्षा क्षेत्र में रूस किस प्रकार भारत का समर्थन करता है, इसका एक स्पष्ट उदाहरण एसयू-30एमकेआई, एमआईजी-29, और एस-400 जैसे हथियार हैं। भारत ने न केवल इन हथियारों को रूस से खरीदा है, बल्कि दोनों देश कुछ परियोजनाओं पर भी मिलकर काम कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण भारत की ब्रह्मोस मिसाइल है।
यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से यह रूसी राष्ट्रपति का भारत का पहला दौरा है। इस कारण इसे कई मायनों में विशेष माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच रक्षा सहयोग पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा सुरक्षा, व्यापार, तेल, और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बातचीत हो सकती है।
रूस के सुखोई-400 की नई खेप को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच वार्ता होने की संभावना है। ध्यान दें, एस-400 को लेकर भारत और रूस के बीच 2018 में 5 अरब डॉलर की डील हुई थी। इसके तहत एस-400 के 5 यूनिट भारत को मिलने थे, जिनमें से 3 पहले ही डिलीवर हो चुके हैं। इस प्रकार, नई खेप के बारे में चर्चा संभव है।
इसके अतिरिक्त, भारत नई तकनीकों से लैस एस-500 खरीदने पर विचार कर रहा है। इस संदर्भ में एस-500 के बारे में भी बातचीत हो सकती है। सुखोई-57 के मामले में, रूस पहले से ही इसकी 70 फीसदी तकनीक भारत को देने के लिए तैयार है। यदि इस पर बात बन जाती है, तो भारत एस-57 को अपने देश में तैयार कर सकेगा। साथ ही एस-30 के आधुनिकीकरण पर भी चर्चा की संभावना है।
रूस भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के इरादे से आगे बढ़ रहा है, जिसमें अमेरिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। रूस भारत के साथ व्यापार को 5 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य बना रहा है। इसके अलावा, डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए भारत और रूस अपनी करेंसी में व्यापार करने के बारे में भी सोच रहे हैं।
भारतीय वस्तुओं का रूस में निर्यात बढ़ाने के लिए फूड, समुद्री उत्पाद, दवा, और डिजिटल सेवाओं आदि पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, मोबिलिटी समझौते के साथ-साथ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और शिक्षा से जुड़े क्षेत्रों पर नए समझौते या पुराने समझौतों को अपडेट करने की योजना भी है।