क्या प्रधानमंत्री मोदी ने क्यूएस एशिया रैंकिंग 2026 में भारतीय विश्वविद्यालयों की वृद्धि की सराहना की?

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क्या प्रधानमंत्री मोदी ने क्यूएस एशिया रैंकिंग 2026 में भारतीय विश्वविद्यालयों की वृद्धि की सराहना की?

सारांश

प्रधानमंत्री मोदी ने क्यूएस एशिया रैंकिंग 2026 में भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या में अद्भुत वृद्धि की सराहना की है। 2016 में केवल 24 संस्थान थे, जो अब 294 हो गए हैं। जानिए इस उपलब्धि के पीछे की कहानी और इसके महत्व को!

Key Takeaways

  • भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या में 1,125 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • भारत केवल चीन से पीछे है विश्वविद्यालयों की संख्या में।
  • प्रति संकाय शोध पत्रों के मामले में भारतीय संस्थानों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर दिया है।
  • हांगकांग विश्वविद्यालय ने पहला स्थान प्राप्त किया है।

नई दिल्ली, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को क्यूएस एशिया रैंकिंग 2026 में भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या में 1,125 प्रतिशत की वृद्धि की सराहना की। 2016 में यह संख्या केवल 24 थी, जो इस वर्ष बढ़कर 294 हो गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्‍स' पर एक पोस्ट में लिखा, "हमारी सरकार अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।"

उन्होंने आगे कहा कि नई दिल्ली देशभर में और अधिक शैक्षणिक संस्थानों को सक्षम बनाकर संस्थागत क्षमताओं का निर्माण कर रही है।

प्रधानमंत्री के उत्साह को आकर्षक आंकड़ों से भी बल मिला है। भारत अब प्रतिनिधित्व के मामले में केवल चीन (395 विश्वविद्यालय) से पीछे है, जिसने इस संस्करण में 137 नए प्रवेशकों को शामिल किया है।

प्रति संकाय शोध पत्रों के मामले में पांच भारतीय संस्थान एशिया के शीर्ष 10 में शामिल हैं, और 28 संस्थान शीर्ष 50 में हैं, जो चीन की संख्या से दोगुने से भी ज्यादा है। यह एक ऐसे शोध इंजन का प्रमाण है जो उच्च-प्रभावी प्रकाशन तैयार करता है और पीएचडी धारकों से प्रयोगशालाएं संचालित करता है।

वहीं, सात भारतीय नाम महाद्वीपीय शीर्ष 100 में शामिल हैं, जो पिछले वर्ष के समान ही है, फिर भी यह कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच लचीलेपन का प्रतीक है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने देश के मानक-वाहक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी है और नियोक्ताओं की प्रशंसा और उद्धरणों में वृद्धि के कारण 78.6 अंकों के साथ 59वें स्थान पर पहुंच गया है।

भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर 64वें (76.5) स्थान पर, आईआईटी मद्रास 70वें (75.1) स्थान पर, आईआईटी बॉम्बे 71वें (75.0) स्थान पर, आईआईटी कानपुर और आईआईटी खड़गपुर 77वें (दोनों 73.4) स्थान पर और दिल्ली विश्वविद्यालय 95वें (68.5) स्थान पर रहा। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रतिष्ठा अब आईआईटी समूह से आगे बढ़कर व्यापक आधार वाले सार्वजनिक विश्वविद्यालयों तक पहुंच गई है।

हांगकांग विश्वविद्यालय ने पेकिंग विश्वविद्यालय को पछाड़कर पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि सिंगापुर की राष्ट्रीय सिंगापुर विश्वविद्यालय (एनयूएस) और नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे, जिससे हांगकांग, मुख्यभूमि चीन और इस नगर-राज्य की विशिष्ट स्थिति पर पकड़ की पुष्टि हुई।

क्यूएस की मुख्य कार्यकारी जेसिका टर्नर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पांच वर्षों की विरासत को 'वैश्विक रूप से प्रासंगिक और स्थानीय रूप से सशक्त बनाने वाली प्रणाली-स्तरीय क्षमता' के निर्माण का श्रेय दिया। साथ ही उन्होंने आगाह किया कि यदि भारत को इस मंच पर जगह बनानी है, तो आने वाले दशक में गहरी वैश्विक साझेदारियों और डिजिटल युग के पाठ्यक्रमों की आवश्यकता होगी।

अधिकांश प्रमुख आईआईटी संस्थानों की कुल रैंकिंग में गिरावट आई है। आईआईटी बॉम्बे 23 स्थान नीचे आया है। विश्लेषकों का मानना है कि इस गिरावट का कारण प्रतिद्वंद्वियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय संकाय नियुक्तियां, आने वाले छात्रों की विविधता और संकाय-छात्र अनुपात में तेजी से हुई वृद्धि है।

भारतीय धरती पर विदेशी शिक्षाविद और विदेशी स्नातक दुर्लभ हैं, और बुनियादी ढांचे में निवेश अभी भी सिंगापुर के एनयूएस, बीजिंग के सिंघुआ या सियोल के केएआईएसटी से पीछे है।

Point of View

मैं कह सकता हूँ कि भारत की यह सफलता न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर हमारे देश की छवि को भी मजबूत करती है। हमें इस उपलब्धि पर गर्व है, लेकिन हमें और आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
NationPress
04/11/2025

Frequently Asked Questions

क्यूएस एशिया रैंकिंग क्या है?
क्यूएस एशिया रैंकिंग एक प्रतिष्ठित रैंकिंग है जो एशियाई विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक प्रदर्शन को मापती है।
भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि का क्या महत्व है?
यह वृद्धि भारत की शिक्षा प्रणाली की मजबूती और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हमारी स्थिति को बेहतर बनाती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस वृद्धि के बारे में क्या कहा?
उन्होंने इसे एक सकारात्मक संकेत मानते हुए, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।