क्या राजकुमार फिल्मों के डायलॉग्स के खुद थे कप्तान, अपनी शर्तों पर करते थे काम?

सारांश
Key Takeaways
- राजकुमार ने अपने संवादों को खुद बदलने की हिम्मत दिखाई।
- उन्होंने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते।
- उनका असली नाम कुलभूषण पंडित था।
- वे ईमानदारी और आत्मविश्वास के प्रतीक थे।
- उनकी ज़िंदगी में कई चुनौतियाँ भी थीं।
मुंबई, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजकुमार, हिंदी सिनेमा के एक महान सितारे के रूप में जाने जाते हैं, जिनका नाम आज भी श्रद्धा और प्रेम से लिया जाता है। उनकी गहरी आवाज और अभिनय कौशल के लिए उन्हें जाना जाता है, साथ ही उनकी ईमानदारी और सचाई के लिए भी।
राजकुमार की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि वह अपने फिल्मों के संवाद को लेकर बेहद गंभीर थे। यदि वे किसी संवाद से संतुष्ट नहीं होते थे, तो उसे कैमरे के सामने ही बदल देते थे। उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर काम किया।
राजकुमार का जन्म 8 अक्टूबर 1926 को बलूचिस्तान के लोरलाई में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ। उनका असली नाम कुलभूषण पंडित था। उनका परिवार मुंबई चला आया, जहाँ उन्होंने पहले पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में कार्य किया। लेकिन सिनेमा की दुनिया का आकर्षण उन्हें जल्दी ही खींच ले गया। एक दिन फिल्म निर्माता बलदेव दुबे ने पुलिस स्टेशन में राजकुमार को देखा और उनके स्वाभाविक अंदाज से प्रभावित होकर उन्हें अपनी फिल्म 'शाही बाजार' में काम करने का मौका दिया। राजकुमार ने तुरंत पुलिस की नौकरी छोड़कर सिनेमा में कदम रखा।
राजकुमार का फिल्मी सफर आसान नहीं था। उन्होंने शुरुआत में कई छोटी भूमिकाएँ निभाईं। उनकी पहली फिल्म 'रंगीली' 1952 में आई, लेकिन असली पहचान उन्हें 1957 में महबूब खान की 'मदर इंडिया' से मिली। इस फिल्म में उन्होंने एक किसान का किरदार निभाया, जिसने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। इसके बाद, उन्होंने 'हीर रांझा', 'तिरंगा', 'मरते दम तक', 'सौदागर', और 'पाकीजा' जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
राजकुमार की बेबाकी का एक और उदाहरण उनके संवाद बदलने का रवैया था। जब उन्हें लगता था कि फिल्म के संवाद उनके व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं हैं, तो वह निर्देशक और लेखक से बात करके उन्हें बदलवा लेते थे। उनका मानना था कि कलाकार को अपने किरदार को बेहतर तरीके से निभाने का अधिकार होना चाहिए। यही वजह थी कि उनके संवादों में एक विशेष ठसक और गहराई नजर आती थी। राजकुमार की ईमानदारी और आत्मविश्वास उनकी फिल्मों को यादगार बनाते थे।
अपनी फिल्मी यात्रा के दौरान, राजकुमार को कई पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्होंने अपने योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते। उनकी अभिनय में गहराई और सादगी थी, जो उन्हें अपने समय के सबसे बड़े सितारों में से एक बनाती थी। वह स्क्रीन पर रफ एंड टफ हीरो थे, लेकिन असल जीवन में भी उतने ही नेक दिल इंसान थे।
राजकुमार की जिंदगी में सफलता के साथ-साथ कई चुनौतियाँ भी थीं। उनका अंतिम समय गले के कैंसर से जूझते हुए गुजरा। उन्होंने 3 जुलाई 1996 को 69 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया।