क्या रात में कॉफी पीना महिलाओं के लिए हानिकारक है?

सारांश
Key Takeaways
- रात में कॉफी का सेवन महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है।
- इससे आवेगपूर्ण व्यवहार बढ़ता है।
- फ्रूट फ्लाइज का प्रयोग अध्ययन में किया गया।
- शोध से जेंडर-विशिष्ट प्रतिक्रियाओं का पता चलता है।
- कैफीन का प्रभाव हार्मोनल कारकों पर निर्भर कर सकता है।
नई दिल्ली, ६ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, रात में कॉफी पीना विशेष रूप से महिलाओं के लिए समस्याओं का कारण बन सकता है। यह उनके अंदर आवेगपूर्ण व्यवहार को बढ़ा सकता है, जिससे बिना सोचे-समझे जोखिम उठाने की संभावना में इजाफा होता है।
यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट एल पासो (यूटीईपी) के बायोलॉजिस्ट द्वारा किया गया, जिसके निष्कर्ष शिफ्ट वर्कर्स, स्वास्थ्यकर्मियों और सैन्य कर्मियों, खासकर महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
यह अध्ययन 'आईसाइंस' जर्नल में प्रकाशित हुआ, जिसका उद्देश्य रात में कैफीन के सेवन के प्रभाव को समझना था। इसमें प्रयोग के लिए फ्रूट फ्लाइज (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) का उपयोग किया गया, जो वैज्ञानिक अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मॉडल प्रजाति मानी जाती है।
फ्रूट फ्लाइज इसलिए चुनी गईं क्योंकि उनके जेनेटिक और नर्वस सिस्टम में इंसानों के साथ कुछ समानताएं पाई जाती हैं। यह समानता वैज्ञानिकों को जटिल व्यवहारों, जैसे इम्पल्सिविटी और आत्म-नियंत्रण का अध्ययन करने में मदद करती है।
मक्खियों की आवेगपूर्ण प्रवृत्ति का अध्ययन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने तेज हवा में उनकी गति को रोकने की क्षमता को मापा।
यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस कॉलेज ऑफ मेडिसिन पियूरा के शोध विशेषज्ञ एरिक साल्डेस ने कहा, "सामान्य परिस्थितियों में तेज हवा से प्रभावित होकर फ्रूट फ्लाइज हिलना बंद कर देती हैं। लेकिन रात में कैफीन लेने वाली मक्खियां जोखिम भरे तरीके से उड़ान भरती रहीं।"
दिलचस्प बात यह है कि दिन में कैफीन लेने वाली मक्खियों में ऐसा आवेगपूर्ण व्यवहार नहीं देखा गया। इसके अलावा, मेल और फीमेल मक्खियों में कैफीन की मात्रा समान होने के बावजूद, फीमेल मक्खियों में कैफीन से प्रेरित आवेगपूर्ण व्यवहार मेल की तुलना में काफी अधिक था।
प्रोफेसर क्यूंग-एन हान ने बताया कि इस अध्ययन से रात में कैफीन के प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, "मक्खियों में इंसानों जैसे हार्मोन नहीं होते, इसलिए फीमेल मक्खियों में कैफीन के प्रति बढ़ी हुई संवेदनशीलता के पीछे अन्य जेनेटिक या शारीरिक कारक हो सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "इन कारकों का पता लगाने से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि रात के समय शरीर की कार्यप्रणाली और जेंडर-विशिष्ट विशेषताएं कैफीन के प्रभाव को कैसे बदलती हैं।"