क्या रबी फसलों की बुवाई 536 लाख हेक्टेयर के पार हो गई है?

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क्या रबी फसलों की बुवाई 536 लाख हेक्टेयर के पार हो गई है?

सारांश

कृषि मंत्रालय ने घोषणा की है कि रबी फसलों की बुवाई इस वर्ष 536.76 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है। यह किसानों की आय में सुधार और खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करेगा।

Key Takeaways

  • 536.76 लाख हेक्टेयर पर पहुँची रबी फसलों की बुवाई।
  • गेहूं का रकबा 275.66 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा।
  • बढ़ता हुआ रकबा किसानों की आय में सुधार करेगा।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की गई है।
  • बेहतर मानसून का योगदान।

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि इस साल 5 दिसंबर तक रबी फसलों के तहत बोया गया कुल रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 512.76 लाख हेक्टेयर की तुलना में 24 लाख हेक्टेयर बढ़कर 536.76 लाख हेक्टेयर हो गया है।

बोए गए रकबे में यह बढ़ोतरी उत्पादन में वृद्धि की संभावना को दर्शाती है, जिससे किसानों की आय में सुधार होगा और खाद्य महंगाई को नियंत्रित रखने में सहायता मिलेगी।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, गेहूं का रकबा पिछले साल इसी अवधि के 258.48 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 275.66 लाख हेक्टेयर हो गया है।

इसी प्रकार, उड़द, मसूर और मूंग जैसी दालों के तहत रकबा पिछले साल की अवधि के 115.41 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 117.11 लाख हेक्टेयर हो गया है।

ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाज के तहत अब तक का रकबा पिछले साल की अवधि के 41.13 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 41.77 लाख हेक्टेयर हो गया है।

सरसों और राई जैसी तिलहन फसलों के तहत रकबा पिछले साल की अवधि के 87.1 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 89.79 लाख हेक्टेयर हो गया है।

इस साल बुवाई में वृद्धि का मुख्य कारण बेहतर मानसून है, जिसने बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में बुवाई को सरल बना दिया है, जो कि देश की कृषि भूमि का लगभग 50 प्रतिशत है।

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 1 अक्टूबर को 2026-27 मार्केटिंग सीजन के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी है, जिससे उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित हो सके।

न्यूनतम समर्थन मूल्य बुवाई के मौसम से पहले ही घोषित किए जाते हैं ताकि किसान अपनी फसल योजना उसी के अनुसार बना सकें और अपनी कमाई को अधिकतम कर सकें।

एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी कुसुम के लिए की गई है, जो कि 600 रुपए प्रति क्विंटल है। इसके बाद मसूर (दाल) की एमएसपी में 300 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। रेपसीड और सरसों, चना, जौ और गेहूं के लिए, क्रमशः 250, 225, 170 और 160 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।

मार्केटिंग सीजन 2026-27 के लिए अनिवार्य रबी फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी, केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना स्तर पर तय किया गया है। यह बढ़ी हुई एमएसपी किसानों को लाभकारी कीमतें सुनिश्चित करेगी और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करेगी।

Point of View

जो कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों के लिए बेहतर आय की संभावनाएँ प्रस्तुत करता है। यह न केवल उत्पादन बढ़ाने में सहायक है, बल्कि खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में भी मदद करेगा।
NationPress
16/12/2025

Frequently Asked Questions

इस साल रबी फसलों की बुवाई में कितनी वृद्धि हुई है?
इस साल रबी फसलों की बुवाई में 24 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जिससे कुल रकबा 536.76 लाख हेक्टेयर हो गया है।
गेहूं का रकबा पिछले साल की तुलना में कितना बढ़ा है?
गेहूं का रकबा पिछले साल की तुलना में 17.18 लाख हेक्टेयर बढ़कर 275.66 लाख हेक्टेयर हो गया है।
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ कैसे उठाते हैं?
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा के आधार पर अपनी फसल योजना बना सकते हैं, जिससे उनकी कमाई बढ़ाने में मदद मिलती है।
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