क्या रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम से निगरानी प्रणाली में सुधार होगा? केंद्रीय राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव

सारांश
Key Takeaways
- रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम से कुत्तों के काटने की घटनाओं की निगरानी में सुधार होगा।
- राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में डेटा इंटीग्रेशन हो रहा है।
- स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
- सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध है।
- वन हेल्थ दृष्टिकोण से जूनोसिस की रोकथाम की जा रही है।
नई दिल्ली, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश कई लोगों के द्वारा विरोध किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने एक छह साल के बच्चे की कुत्ते के हमले में मौत के बाद इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कुत्तों की नसबंदी और उन्हें शेल्टर में रखने के निर्देश दिए।
इसी संदर्भ में, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने मंगलवार को संसद में जानकारी दी कि राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) देशभर में कुत्तों के काटने की घटनाओं की निगरानी को और अधिक मजबूती प्रदान कर रहा है।
राज्यसभा में उन्होंने लिखित उत्तर में बताया कि रेबीज से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कुत्तों और अन्य जानवरों के काटने से जुड़ी घटनाओं और मौतों का डेटा इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) पर दर्ज कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत राज्यों को इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए बजट उपलब्ध कराया जाता है। इसमें स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण, रेबीज वैक्सीन की खरीद, जन जागरूकता के लिए सूचना सामग्री, डेटा प्रबंधन, समीक्षा बैठकें, निगरानी, और मॉडल एंटी-रेबीज क्लीनिक की सुविधाएं शामिल हैं।"
मंत्री ने कहा कि एनएचएम की राष्ट्रीय निशुल्क औषधि योजना के तहत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी-रेबीज वैक्सीन (एआरवी) और एंटी-रेबीज सीरम (एआरएस)/रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (आरआईजी) जैसी जीवन रक्षक दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं।
इसके साथ ही, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) दिशा-निर्देश, प्रशिक्षण सामग्री, प्रयोगशालाओं को सशक्त करना और जागरूकता अभियान के माध्यम से रेबीज नियंत्रण गतिविधियों को तेज कर रहा है। वहीं, राष्ट्रीय वन हेल्थ प्रोग्राम पशु चिकित्सा प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाकर रेबीज निदान में योगदान दे रहा है।
जाधव ने कहा कि "वन हेल्थ" दृष्टिकोण के तहत सभी राज्यों में समितियाँ स्थापित की गई हैं ताकि इंसानों और जानवरों दोनों में फैलने वाले रोगों (जूनोसिस) की रोकथाम की जा सके और पशु चिकित्सा क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जा सके।
उन्होंने यह भी बताया कि जनता और स्वास्थ्य कर्मियों को जागरूक करने के लिए कुत्तों के काटने के प्रोटोकॉल, प्रशिक्षण वीडियो और सूचना-संचार सामग्री पूरे देश में वितरित की जा रही है।