क्या राहुल गांधी चुनाव आयोग के नोटिस से डरते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी चुनाव आयोग के नोटिसों से नहीं डरते हैं।
- आनंद दुबे ने ईडी, सीबीआई का सामना करने का जिक्र किया।
- विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर के दावों का समर्थन किया।
- आनंद दुबे ने भागवत से सरकार से दूरी बनाने की अपील की।
- चुनाव आयोग पर धांधली के आरोपों की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
मुंबई, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने हरियाणा चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को भेजे गए नोटिस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को नोटिसों से डरने की आवश्यकता नहीं है, चाहे चुनाव आयोग से कितने भी नोटिस क्यों न आएं।
सोमवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में आनंद दुबे ने कहा कि राहुल गांधी ने ईडी, सीबीआई, और इनकम टैक्स जैसे संस्थानों का सामना किया है और अब चुनाव आयोग का भी सामना करेंगे। राहुल गांधी जनता की आवाज के रूप में लड़ाई जारी रखेंगे, क्योंकि जनता ने उन्हें विपक्ष का नेता चुना है।
उन्होंने 'अगस्त क्रांति' का उल्लेख करते हुए कहा कि अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिए नारा था, 'अंग्रेजों भारत छोड़ो।' अब 'वोट चोरी' के मुद्दे पर नया नारा है, 'चुनाव आयोग गुलामी छोड़ो।'
दुबे ने यह भी कहा कि राहुल गांधी किसी नोटिस से नहीं डरेंगे और 'वोट चोरी' का खुलासा करेंगे।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के बयान का समर्थन करते हुए आनंद दुबे ने कहा कि विपक्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमानों को मार गिराने के दावे का पूरा सम्मान करता है और सशस्त्र बलों पर पूर्ण भरोसा रखता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति नहीं कर रहा है। केंद्र सरकार एक ऐसा माहौल बना रही है।
उन्होंने सवाल उठाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में सीजफायर कैसे हुआ और सरकार ने विपक्ष को विश्वास में क्यों नहीं लिया?
दुबे ने कहा कि सेना देश के लिए कुछ भी कर सकती है और जब देश की बात आती है, तो विपक्ष पूरी तरह सेना के साथ है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि विपक्ष भी उतना ही देशभक्त है जितना कि सरकार स्वयं का दावा करती है।
आनंद दुबे ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के शिक्षा और स्वास्थ्य पर दिए गए बयान का स्वागत करते हुए कहा कि वे उनके बयान का सम्मान करते हैं और इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाने के लिए धन्यवाद करते हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि 11 साल से अधिक समय से केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद, जनता को अच्छी चिकित्सा और शिक्षा सुविधाओं से वंचित क्यों रखा गया है और यह किसकी विफलता है?
दुबे ने सुझाव दिया कि संघ प्रमुख को विपक्ष का साथ देना चाहिए क्योंकि वर्तमान केंद्र सरकार अहंकारी है और किसी की बात नहीं सुनती। उन्होंने रोजगार, किसान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सरकार की नाकामी का जिक्र किया। उन्होंने भागवत से अपील की कि वे सरकार से दूरी बनाएं।
उन्होंने विपक्ष के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि चुनाव आयोग पर धांधली के गंभीर आरोप हैं, जिनकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। चुनाव आयोग को कठपुतली बना दिया गया है और इसे जवाबदेह ठहराने के लिए संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकाला गया।