क्या 'जेन-जी' पर राहुल गांधी का बयान राजनीतिक विवाद खड़ा कर रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी का बयान राजनीतिक विवाद का कारण बना है।
- शिवसेना और एनसीपी ने उनका समर्थन किया है।
- भाजपा ने राहुल के आरोपों का विरोध किया है।
- चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर चर्चा महत्वपूर्ण है।
- सुप्रिया सुले ने लोकतंत्र के अधिकार की बात की है।
मुंबई, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हाल के आरोपों और 'जेन-जी' पर की गई टिप्पणी ने एक नया राजनीतिक विवाद उत्पन्न कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हमलों के बीच, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी-शरद पवार के नेताओं ने राहुल गांधी का समर्थन किया है。
एनसीपी-शरद पवार पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि एक सशक्त लोकतंत्र में सभी को बोलने का अधिकार है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से डेटा प्रस्तुत किया है। मेरा मानना है कि यह आरोप भाजपा या किसी और पर नहीं हैं, बल्कि ये आरोप चुनाव आयोग पर लगाए गए हैं। राजनीतिक पार्टियों को इसकी चिंता क्यों हो रही है?"
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, और उन्हें इसका जवाब देना चाहिए। राहुल गांधी के बयान पर भाजपा या किसी अन्य पार्टी को प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता नहीं है।
राहुल गांधी की 'जेन-जी' टिप्पणी के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें 'माओवादी' सोच का बताया। इस पर सुप्रिया सुले ने कहा, "इसमें माओवाद का क्या संबंध है? जेन-जी का मतलब नई पीढ़ी है। मुख्यमंत्री का ऐसा बयान हास्यास्पद है।"
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, जो एक संवैधानिक और महत्वपूर्ण पद है। उनमें वह साहस है जो हमारे प्रधानमंत्री में नहीं है। सैकड़ों पत्रकारों को एक साथ संबोधित करना राहुल गांधी की बहादुरी है, जो वे लगातार दिखाते हैं।
राउत ने आगे कहा, "राहुल गांधी की आलोचना करने वालों को यह समझना चाहिए कि उन्होंने बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी बात देश के सामने रखी है। पिछले कुछ समय से वह चुनाव आयोग की भ्रष्ट गतिविधियों, धांधलियों और मत चुराने के तरीकों पर बोल रहे हैं। गुरुवार को उन्होंने दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने सबूत दिए हैं कि किस तरह से एक खास वर्ग के वोट डिलीट किए गए।"