क्या केसी त्यागी की राहुल गांधी को दी गई नसीहत उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के बयान ने राजनीतिक विवाद पैदा किया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई है।
- जदयू नेता केसी त्यागी ने जांच-पड़ताल की सलाह दी है।
- शिवसेना प्रवक्ता ने गंभीर संदेह व्यक्त किया है।
- चुनाव आयोग ने आपत्ति नहीं होने की बात कही है।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक बयान देने पर कड़ी फटकार लगाई है। इस फटकार के बाद, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता केसी त्यागी ने गांधी को सलाह दी है कि वह कोई भी बयान देने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करें।
सोमवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में, केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को किसी भी बयान के लिए पहले सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, ताकि उनकी किरकिरी या जग हंसाई न हो।
इस मामले में, शिवसेना के प्रवक्ता कृष्ण हेगड़े ने कहा कि अदालत की टिप्पणियाँ राहुल गांधी के आचरण पर गंभीर संदेह उत्पन्न करती हैं।
हेगड़े ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी पर कड़ी टिप्पणी की है। उनकी स्थिति अब जांच के दायरे में आ गई है। न्यायाधीशों ने पूछा कि उनके पास यह दावा करने का क्या सबूत है कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।"
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी की देशभक्ति पर किसी को संदेह नहीं है, लेकिन संसद के बजाय सोशल मीडिया पर निराधार दावे करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए हानिकारक है।
हेगड़े ने कहा कि राहुल गांधी को संसदीय बहसों में भाग लेने के बजाय बयानबाजी करने में रुचि है। अदालत ने इस पर टिप्पणी की है। यह उनकी भूमिका को कमजोर करता है।
यह मामला राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान की गई बयानबाजी से जुड़ा है। कांग्रेस सांसद ने कहा था, "चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के जवानों की पिटाई कर रहे हैं" और 9 दिसंबर, 2022 को तवांग सेक्टर में हुई झड़प का उल्लेख किया था।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राहुल गांधी के इस दावे पर असहमति जताई कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। साथ ही कहा कि "अगर वह एक सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते।"
न्यायमूर्ति दत्ता ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, "आपको कैसे पता कि 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीन ने कब्जा किया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है? अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते। जब सीमा पार संघर्ष होता है, तो क्या दोनों पक्षों में सैनिकों का हताहत होना असामान्य है?"
सर्वोच्च न्यायालय ने आगे पूछा, "आप जो भी कहना चाहते हैं, उसे संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पर ऐसा क्यों कहना पड़ता है?"
यह टिप्पणी सिंघवी की इस दलील के बाद आई कि अगर किसी विपक्षी नेता को प्रेस में राष्ट्रीय चिंता के मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी।
जदयू नेता केसी त्यागी ने 7 अगस्त को इंडी अलायंस की बैठक पर कहा कि विपक्ष की ओर से एसआईआर को लेकर गुमराह किया जा रहा है। चुनाव आयोग स्पष्ट कर चुका है कि अभी तक किसी की ओर से आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है।
पी. चिदंबरम के बयान पर उन्होंने कहा कि इंडी अलायंस में शामिल शिवसेना (यूबीटी), डीएमके जैसी पार्टियां बिहार के लोगों के खिलाफ हैं। इनसे बिहार के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है और इस पर राजद चुप है।
तेजस्वी यादव के आरोपों पर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने दो वोटर कार्ड रखने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। उम्मीद है कि वह अपनी गलती सुधारेंगे।