क्या चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के दावे को झूठा और भ्रामक बताया?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया।
- चुनाव आयोग ने उनके दावों को झूठा और भ्रामक बताया।
- मतदाता सूची में सुधार के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।
- ईआरओ प्रिंट, टीवी या सोशल मीडिया के आधार पर जांच कर सकता है।
- यह लड़ाई लोकतंत्र की रक्षा की है।
नई दिल्ली, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' के आरोप लगा रहे हैं। इस संदर्भ में भारत निर्वाचन आयोग ने उनके दावों को एक फैक्ट चेक के माध्यम से झूठा और भ्रामक बताया।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के बयानों का फैक्ट चेक करते हुए कहा कि उनके दावे गलत और भ्रामक हैं। मतदाता सूचियां कानून के अनुसार बनाई जाती हैं और उनमें किसी भी सुधार के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। बिना कानून के अनुसार प्रक्रिया के कोई भी व्यक्ति अंतिम मतदाता सूची से आपका नाम हटाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
उन्होंने आगे कहा कि ईआरओ प्रिंट, टीवी या सोशल मीडिया पर आधारित मामलों की स्वतः संज्ञान लेकर जांच कर सकता है, परंतु वह केवल आरोपों के आधार पर हजारों नोटिस जारी नहीं कर सकता, जिससे बिना ठोस सबूत के योग्य मतदाताओं को परेशान किया जा सके।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति, जो आपके विधानसभा क्षेत्र का मतदाता नहीं है, आपके नाम को गलत तरीके से शामिल किए जाने का आरोप लगाता है, तो वह 1960 के नियम 20(3)(बी) के तहत ईआरओ से हस्ताक्षरित घोषणा या शपथ पत्र के साथ अपनी समस्या साझा कर सकता है। चुनाव आयोग हर योग्य मतदाता के साथ खड़ा है।
इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि वोट चोरी ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत पर हमला है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए साफ-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है। चुनाव आयोग से हमारी मांग स्पष्ट है कि पारदर्शिता दिखाएं और डिजिटल मतदाता सूची को सार्वजनिक करें, ताकि जनता और राजनीतिक दल उसका खुद ऑडिट कर सकें। यह लड़ाई लोकतंत्र की रक्षा के लिए है।