क्या जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने आतंकवाद पीड़ितों के 41 परिजनों को नौकरी के नियुक्ति पत्र दिए?

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क्या जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने आतंकवाद पीड़ितों के 41 परिजनों को नौकरी के नियुक्ति पत्र दिए?

सारांश

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद पीड़ितों के 41 परिजनों को नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे। यह कदम दशकों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे परिवारों के लिए राहत का प्रतीक है। उपराज्यपाल ने आतंकवाद के असली पीड़ितों के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दोहराया।

Key Takeaways

  • उपराज्यपाल ने 41 आतंकवाद पीड़ितों के परिजनों को नौकरी दी।
  • 135 परिवारों को राहत मिली है।
  • सरकार आतंकवाद के असली पीड़ितों की पहचान कर रही है।

जम्मू, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि लंबे समय से आतंकवाद के पीड़ितों को चुपचाप संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया गया था। इस अवसर पर, उन्होंने आतंकवादी हमलों के पीड़ितों के 41 परिजनों को नौकरी के नियुक्ति पत्र प्रदान किए।

एज रिलैक्सेशन मामलों में 22 लाभार्थियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के शहीदों के 19 आश्रितों को कंपैशनेट अपॉइंटमेंट रूल्स एसआरओ-43 और रिहैबिलिटेशन असिस्टेंस स्कीम (आरएएस) के तहत नियुक्ति पत्र सौंपे गए।

इससे पहले, 28 जुलाई 2025 को उपराज्यपाल ने जम्मू डिवीजन के आतंकवाद पीड़ितों के 94 परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपे थे।

इस पहल से जम्मू डिवीजन के 135 आतंकवाद पीड़ित परिवारों को राहत मिली है, जिन्हें दशकों तक न्याय का इंतज़ार करना पड़ा। इस अवसर पर पीड़ित परिवारों ने निडरता से अपनी बात रखी, दशकों के आतंक और कठिनाइयों के बारे में बताया और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों और उनके स्थानीय समर्थकों का पर्दाफाश किया।

अपने संबोधन में उपराज्यपाल ने आम नागरिकों की शहादत को श्रद्धांजलि दी और आतंकवादी हमलों के पीड़ित परिवारों के दुःख में सहभागी हुए।

उपराज्यपाल ने कहा कि आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों को दशकों तक चुपचाप संघर्ष करना पड़ा। इन परिवारों को न्याय नहीं मिला और गहरे जख्म कभी नहीं भरे। अब ऐसे परिवारों को पहचान, सम्मान और पुनर्वास दिया जा रहा है। आतंकवाद के असली पीड़ितों और सच्चे शहीदों को नौकरी देना यह दर्शाता है कि देश ठोस कार्रवाई के साथ उनके साथ खड़ा है।

उन्होंने दोहराया कि जिन परिवारों ने सबसे बड़ी कीमत चुकाई है, उनकी गरिमा और आर्थिक सुरक्षा बहाल करना उनकी प्रतिबद्धता है।

राहत के लिए 20 साल के इंतजार के बाद नसीब सिंह और उनके परिवार का दुःख आखिरकार खत्म हो गया है।

लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कहा कि हमने शांति खरीदी नहीं है, बल्कि शांति स्थापित की है। कुशासन के दिन खत्म हो गए हैं। अब, आतंकवादियों, अलगाववादियों और उनके समर्थकों को सरकारी नौकरियां नहीं दी जाती हैं, बल्कि उनकी पहचान करके उनके कामों के लिए उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि खत्म हो रहे आतंकवादी इकोसिस्टम के कुछ तत्व देश के खिलाफ गलत जानकारी या नकारात्मक बातें फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उपराज्यपाल ने चेतावनी दी कि देश के मौजूदा कानूनी ढांचे के अनुसार ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि जो लोग अलगाववाद फैला रहे हैं और राष्ट्रीय एकता को खतरा पहुंचा रहे हैं, उन्हें कानून के मुताबिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

उपराज्यपाल ने समाज के सभी वर्गों से जम्मू-कश्मीर में विकास के महायज्ञ में निस्वार्थ भाव से योगदान देने की अपील की।

इस मौके पर विधान सभा के सदस्य और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्य भी उपस्थित थे।

Point of View

बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तत्पर है। इस दिशा में उठाए गए कदमों को समाज के सभी वर्गों द्वारा समर्थन मिलना चाहिए।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

उपराज्यपाल ने कितने परिवारों को नौकरी के नियुक्ति पत्र दिए?
उपराज्यपाल ने 41 परिवारों को नौकरी के नियुक्ति पत्र दिए।
यह नियुक्ति पत्र किस योजना के तहत दिए गए हैं?
यह नियुक्ति पत्र कंपैशनेट अपॉइंटमेंट रूल्स एसआरओ-43 और रिहैबिलिटेशन असिस्टेंस स्कीम के तहत दिए गए हैं।
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